GS Paper-2 Indian Polity (राजव्यवस्था) Part-1 (Q.26)

GS PAPER-2 (भारतीय राजनीति) Q-26
 
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Q.26 - सार्वजनिक प्रणालियों के प्रशासन में सुधार के लिये होने वाले नवाचार के अंतर्गत सृजन करना, विकास करना और ऐसे व्यावहारिक विचारों पर अमल करना शामिल होना चाहिये जिनसे लोकहित का उद्देश्य पूरा हो सके। चर्चा कीजिये।
उत्तर :
भूमिका:
        आज विश्व भर में सरकारी एजेंसियाँ कार्यों हेतु नए तौर-तरीकों का पता लगा रही हैं। इसके लिये निरंतर नवाचार को अपनाया जा रहा है। परंतु ये नवाचार ऐसे होने चाहिये जिनसे लोगों का हित साधा जा सके और उनमें नवीनता हो; भले ही वो नवीनता आंशिक रूप से हो इसके अलावा सबसे महत्त्वपूर्ण बात है इनका उपयोगी होना।
विषय-वस्तु
        सार्वजनिक प्रणालियाँ नवसृजन को अपनाकर सेवाएँ प्रदान करने में वृद्धि करती हैं। इससे कार्यकुशलता बढ़ती है और लागत में कमी आती है। इस प्रकार सार्वजनिक प्रणाली में नवाचार की प्रकृति ऐसी होनी चाहिये जिससे सार्वजनिक सेवा प्रदान करने में सुधार आएँ, प्रक्रियाएँ सरल हो, नागरिकों की संतुष्टि में सुधार आएँ, पारदर्शिता और जवाबदेहिता में अभिवृद्धि हो, सेवा प्रदान करने में लगने वाले समय में कमी आएँ, दक्षता को प्रभावित किये बिना लागत में कमी आए और तकनीकी उपयोग का लाभ उठाया जा सके।
सार्वजनिक प्रणालियों के तहत आने वाले विभिन्न नवाचारों पर चर्चा -
        सार्वजनिक प्रणाली के अंतर्गत निम्नलिखित शीर्षकों के तहत नवाचार को देखा जा सकता है-
  सेवा संबंधी नवाचार: इसके तहत कोई नयी सेवा या उत्पाद शुरू करना या मौजूदा सेवा या उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना आता है। उदाहरण के तौर पर भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) मोबाइल ऐप को देखा जा सकता है जिसके द्वारा बैंकों के ज़रिये सीधे भुगतान की व्यवस्था की गई है। कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) का उद्देश्य भी सार्वजनिक उपयोग की आवश्यक सेवाओं, समाज कल्याण कार्यक्रमों, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय, शैक्षिक और कृषि सेवाओं के साथ-साथ देश के दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों के नागरिकों तक सेवाएँ पहुँचाना है।
  प्रशासनिक/संगठनात्मक नवाचार: इसके तहत सरकार में पदक्रम आधारित ढाँचे और प्रशासनिक व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के तौर पर -नाम (इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है जिसके द्वारा वास्तविक मंडियों का एक नेटवर्क स्थापित किया गया है ताकि राज्य के बाहर के खरीददार भी स्थानीय स्तर की खरीद-बिक्री में ऑनलाइन हिस्सा ले सके।
  नीतिगत नवाचार: इसके अंतर्गत नए विचारों के फलने-फूलने की व्यवस्थित संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर हम देखते हैं कि बायोफ्यूल पर राष्ट्रीय नीति, 2018 जिसे नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 2009 में तैयार किया गया था को बाद में पेट्रेलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंप दिया गया।
  प्रणालीगत नवाचार: इसके तहत नागरिकों के साथ संवाद कायम करने और शासन संचालन में सहभागितापूर्ण दृष्टिकोण को बढवा देने के लिये नए-तौर-तरीकों का उपयोग किया जाता है। इससे निर्णय लेने में सभी पक्षों की सहभागिता सुनिश्चित हो जाती है।
इस दिशा में क्या किये जाने की आवश्यकता है, पर चर्चा -
        स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचा, जल आपूर्ति, स्वच्छता, सामाजिक वितरण प्रणाली जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देने और उनकी प्राथमिकता तय किये जाने की आवश्यकता है। प्रासंगिक डेटा, सूचना और ज्ञान के विभिन्न स्रोतों की पहचान की जानी चाहिये और उनका पूरा उपयोग होना चाहिये। संग्रहित सूचना को विभिन्न कर्मियों के साथ साझा करना चाहिये। जानकारी का ऐसा भंडार तय हो जिससे सूचनाएँ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो सके। इसी के मद्देनज़र भारत सरकार द्वारा हैदराबाद में सीआईपीएस (सेंटर फॉर इनोवेशन्स इन पब्लिक सिस्टम्स) स्थापित किया है जो कि एक स्वायत्त राष्ट्रीय संगठन है और इसे सार्वजनिक प्रणालियों में नवाचार को बढावा देने की ज़िम्मेदारी मिली है।
निष्कर्ष:
        सार्वजनिक प्रणालियों में नवाचार अनिवार्य है और यह एक निरंतर प्रक्रिया के साथ-साथ परिणाम भी है।

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