GS Paper-2 Social Justice (सामाजिक न्याय) Part-1 (Q.6)

GS PAPER-2 (सामाजिक न्याय) Q-6
 
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Q.6 - UNHCR रिपोर्ट भारत को अवैध प्रवासन के प्रमुख गंतव्य के रूप में उजागर करती है। इसके साथ जुड़े सुरक्षा जोखिमों और इस खतरे से निपटने के लिये आवश्यक उपचारात्मक उपायों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
 
उत्तर :
  यूनएचसीआर रिपोर्ट के अनुसार भारत अवैध प्रवासन के मामले में एक उदार देश है। यहाँ पर विस्थापित लोगों को बेहतर रोज़गार के अवसर तथा सुरक्षा प्राप्त होती है। यह विभिन्न पृष्ठभूमि वाले नृजातीय या सांस्कृतिक लोगों के प्रति उदार देश है।
  यदि भारत में अवैध प्रवासन की बात करें तो यहाँ पर लगभग 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं। लगभग 40 हज़ार रोहिंग्या मुस्लिम पूरे भारत में अवैध प्रवास किये हुए हैं। इसके अतिरिक्त पाकिस्तानी एवं अफगानी भी बड़ी संख्या में भारत में अवैध प्रवासी है।

अवैध प्रवासन के साथ जुड़े सुरक्षा जोखिम निम्नलिखित हैं:
  इन अवैध प्रवासियों से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होता है। उदाहरण के लिये बोधगया बम ब्लास्ट में रोहिंग्याओं के शामिल होने की पुष्टि हुई थी।
  अवैध प्रवासियों के माध्यम से भारत में अशांति उत्पन्न होने का खतरा होता है। अभी हाल में भारतीय सेना प्रमुख ने कहा कि पूर्वोत्तर को अशांत रखने के लक्ष्य से पाकिस्तान योजनाबद्ध तरीके से वहाँ अवैध बांग्लादेशियों को भेज रहा है।
  अवैध प्रवासन से स्थानीय स्तर पर जनांकिकीय बदलाव होता है जिससे जातीय, धार्मिक, भाषायी या अन्य अंतर इतने बढ़ जाते हैं कि वे राजनीतिक एवं सामाजिक स्थिरिता के लिये चुनौति उत्पन्न कर देते हैं।
  आर्थिक संसाधनों पर बोझ बढ़ने से संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है।

अवैध प्रवासन से उत्पन्न खतरों से निपटने के लिये निम्नलिखित उपायों को अपनाया जाना चाहिये-
  अवैध प्रवासन रोकने के लिये सीमा पर बाड़बंदी एवं निगरानी को बढ़ाया जाना चाहिये।
  असम की तर्ज पर अन्य राज्यों में भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर लाया जाना चाहिये जिससे अवैध ढंग से रह रहे लोगों का पता लगाया जा सके।
  राष्ट्रीय प्रवासन परिषद का गठन किया जाना चाहिये, जो इस समस्या से निपटने के लिये नोडल एजेंसी की तरह कार्य करे।
  अवैध प्रवासन का एक बड़ा कारण रोज़गार के अवसर प्राप्त करना होता है, अत: इसका समाधान वर्क परमिट देकर वैध तरीकें से रोज़गार देने की राष्ट्रीय व्यवस्था किया जाना हो सकता है। 2001 में राष्ट्रीय सुधारों से संबंधित मत्रियों के एक समूह ने इसकी वकालत की थी।
  अवैध प्रवासन के एक जगह एकत्रण को रोका जाना चाहिये।
  पड़ोसी देशों में स्थिरता एवं विकास को बढ़ावा देने के लिये हर संभव सहयोग देना चाहिये। ताकि वहाँ के लोगाें के जीवन स्तर में सुधार कर प्रवासन को रोका जा सके।
  भारत में किसी राष्ट्रीय शरणार्थी नीति का अभाव होना भी अवैध प्रवासन की समस्या को बढ़ा देता है। अत: भारत को शरणार्थी कन्वेंशन 1951 एवं उससे संबंधित प्रोटोकॉल 1967 में हस्ताक्षर कर अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्व को स्वीकार करना चाहिये।

निष्कर्ष: 
कह सकते हैं कि भारत अवैध प्रवासन के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता के समक्ष सुरक्षा जोखिमों का सामना कर रहा। अत: इसके निवारण के लिये प्रभावी उपायों को अपनाया जाना चाहिये।

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