GS Paper-2 International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Part- 1 (Q-7)

GS PAPER-2 (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Q-7
 
International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

Q.7 - लोकतंत्र को एक अनोखा समताकारी उपकरण माना जाता है जो सिर्फ घरेलू राजनीति बल्कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संदर्भ में भी संकटों को उसी प्रकार दूर करता है जिस तरह से वे उत्पन्न होते हैं। इस कथन के आलोक में बताएँ कि मालदीव के नए राष्ट्रपति की सत्ता में वापसी भारत के साथ नए संबंधों को कौन-सी दिशा प्रदान करेगा? विवेचना करें।
 
उत्तर :
भूमिका:
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति यामीन के समय मालदीव की राजनैतिक एवं सामाजिक स्थिति पर चर्चा -
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति यामीन के समय इस्लामवादी कट्टरपंथ के साथ छेड़छाड़ की गई एवं राष्ट्र के लोकतांत्रिक आधार पर हमला भी हुआ लेकिन हिंद महासागर के इस छोटे द्वीप के लोगों ने हालिया चुनाव में परिवर्तन के लिये वोट देते हुए इब्राहिम मोहम्मद सोलेह का नए राष्ट्रपति के रूप मे चयन किया।
 
विषय-वस्तु
मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह द्वारा भारत के साथ तय किये जा रहे नए संबंधों पर चर्चा -
राष्ट्रपति पद संभालने के बाद सोलेह द्वारा भारत की पहली यात्रा की गई। हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने हेतु दोनों देशों के बीच सहयोग आवश्यक है और इस कारण भारत तथा मालदीव अपने द्विपक्षीय संबंधों में मज़बूती लाना चाहते हैं। दोनों पक्ष हिंद महासागर में सुरक्षा सहयोग को और मज़बूत करने पर भी सहमत हुए। भारत ने मालदीव को 1.4 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की।
गौरतलब है कि मालदीव रणनीतिक रूप से भारत के नज़दीक और हिंद महासागर में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर स्थित है। मालदीव में चीन जैसी किसी प्रतिस्पर्द्धी शक्ति की मौजूदगी भारत के सुरक्षा हितों के संदर्भ में उचित नहीं है। चीन वैश्विक व्यापार और इंप्रास्ट्रक्चर प्लान के माध्यम से मालदीव जैसे देशों में तेज़ी से अपना वर्चस्व बढ़ा रहा है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति यामीन भी इंडिया फर्स्टकी नीति अपनाने का दावा करते रहे थे परंतु भारत द्वारा उनके निरंकुश शासन का समर्थन नहीं करने पर उन्होंने चीन और पाकिस्तान की तरफ रुख कर लिया।
इस संदर्भ में तीन वज़हों से भारत की चिंता उभरकर सामने आई थीं। पहली, मालदीव में चीन की आर्थिक और रणनीतिक उपस्थिति में वृद्धि; दूसरी, भारतीय परियोजनाओं और विकास गतिविधियों में व्यवधान, जिसकी वज़ह से भारत के तकनीकी कर्मचारियों को मालदीव द्वारा वीज़ा देने से इनकार किया जाना और तीसरा, इस्लामी कट्टरपंथियों का बढ़ता डर।
भारत को लेकर मालदीव की नई सरकार की सोच काफी सकारात्मक है क्योंकि राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा हेतु उन्होंने भारत को चुना। उन्होंने भारत को अपना सबसे करीबी दोस्त भी बताया। भारतीय नौसैनिक रणनीति में मालदीव जैसे देश को शामिल करना भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है।
 
निष्कर्ष:
मालदीव में सोलेह की सत्ता में वापसी लोकतांत्रिक मूल्यों एवं विधि के नियम की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मालदीव के लोगों ने अपने देश के भविष्य के निर्धारण हेतु लोकतांत्रिक आवाज़ उठाई। शुरुआती रुझानों में मालदीव में सत्ता परिवर्तन भारत के लिये सकारात्मक प्रतीत होता है परंतु मालदीव में चीन के बढ़ते वर्चस्व पर लगाम लगाने के लिये भारत को इस अवसर का फायदा उठाना होगा। भारत को अपनी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए तथा नई सत्ता के साथ समझदारी से काम लेते हुए मालदीव का साथ देना होगा।

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