Q.11 - संसार के शहरी निवास-स्थानों में ताप-द्वीप बनने के कारण बताइये।
उत्तर :
भूमिका:
नगरीकरण की प्रव्रिया द्वारा संबंधित नगर एवं उसके पास के क्षेत्रों के तापमान विकिरण एवं ऊष्मा संतुलन में परिवर्तन हो जाता है। नगरों के केंद्रीय व्यवसाय क्षेत्र में उच्च तापमान की स्थिति को ‘ऊष्मा द्वीप’ कहा जाता है। नगर के केंद्र से बाहर की ओर जाने पर तापमान में उत्तरोत्तर व्रमश: गिरावट आती जाती है।
विषय-वस्तु
शहरी निवास-स्थानों में ताप-द्वीप बनने के कारण-
→ संसार के शहरी निवास स्थानों में निम्न कारकों एवं व्रियाविधियों द्वारा ताप द्वीप का निर्माण होता है-
→ नगरीय क्षेत्रों की पक्की संरचना में वनस्पति का आवरण न्यून होता है जिसके परिणामस्वरूप ये सामान्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक सौर विकिरण का अवशोषण करते हैं।
→ सौर विकिरण के अलावा मानव जनित स्रोतों से भी अतिरिक्त ऊष्मा प्राप्त होती है जैसे- औद्योगिक प्रतिष्ठान, मोटर वाहन, घरों एवं शक्तिगृहों से उत्सर्जित ऊष्मा।
→ आधुनिक नगरों के भवनों में प्रयुक्त निर्माण सामग्री जैसे- ईंट, सीमेंट, इस्पात आदि भी ऊष्मा के अवशोषण में वृद्धि करते हैं। इसके अतिरिक्त नगरों में निर्मित सड़कों में प्रयुक्त सामग्रियों से भी ऊष्मा का अवशोषण बढ़ जाता है एवं रात्रि के समय इस ऊष्मा का उत्सर्जन किया जाता है। यह भी ऊष्मा द्वीप बनने में सहायक होता है।
→ शहरी इलाकों में ऊँची इमारतें वायु की गति में बाधाएँ उत्पन्न करती हैं। वायुगति की के नियम के अनुसार इसके परिणामस्वरूप तापमान में वृद्धि हो जाती है।
→ बड़े नगरों में सतह पर जल के अभाव में वाष्पीकरण न होने से ऊष्मा खर्च नहीं हो पाती। इसके कारण भी नगर के केंद्र का तापमान आस-पास के क्षेत्रों से ज्यादा रहता है।
→ नगर का जनसंख्या घनत्व तथा भवनों के संकेंद्रण का सीधा संबंध ऊष्मा द्वीप के निर्माण से जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष:
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-