GS Paper-2 Social Justice (सामाजिक न्याय) Part-1 (Q.1)

GS PAPER-2 (सामाजिक न्याय) Q-1
 
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Q.1 - मानव तस्करी की समस्या केवल भारत बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिये नासूर बनी हुई है। हाल ही में अमेरिका द्वारा प्रकाशित ट्रेफिकिंग इन पर्सन्सरिपोर्ट के आधार पर उपरोक्त कथन का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
 
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, यहाँ-वहाँ ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं। मानव तस्करी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिये खरीदा और बेचा जाता है।
मानव तस्करी पर वैश्विक रिपोर्ट (Global Report on Trafficking in Persons) अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है, जो मानव तस्करी को लेकर वैश्विक स्तर पर व्यापक मूल्यांकन प्रदान करती है। इसमें 155 देशों से प्राप्त आँकड़े शामिल हैं जिसमें मानव तस्करी का अवलोकन, प्रतिक्रिया में उठाए गए कानूनी कदम एवं व्यक्तियों, पीड़ितों और अभियोजन संबंधी देश-विशेष में तस्करी के मामलों की जानकारी है। वर्ष 2019 की रिपोर्ट में तस्करी की राष्ट्रीय प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है जिसके अनुसार 60% मामलों में पीड़ितों को उनके देश की सीमाओं से बाहर ले जाने के बजाय देश के अंदर ही उनकी तस्करी की जाती है। पश्चिमी और मध्य यूरोप, मध्य-पूर्व तथा कुछ पूर्व एशियाई देशों को छोड़कर दुनिया के सभी क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर तस्करी की समस्या ज़्यादा प्रबल है। महिलाएँ और लड़कियाँ सबसे अधिक असुरक्षित हैं। 90% महिलाओं एवं लड़कियों की तस्करी यौन शोषण के लिये की जाती है।
मानव तस्करी भारत की भी प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस रिपोर्ट में भारत को टियर-2 श्रेणी में रखा गया है। जिसका अभिप्राय है कि इस दिशा में प्रयास तो किये जा रहे हैं, लेकिन वे पूर्णतया प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं। ये सभी प्रयास आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर खरे नहीं उतर पा रहे।
हालाँकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 (1) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत भारत में मानव तस्करी प्रतिबंधित है, तथापि यह समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई है। इसे समाप्त करने हेतु सभी संबद्ध मंत्रालयों और एजेंसियों के बीच सहयोग को मज़बूत बनाना, त्वरित जाँच और मानव तस्करों एवं संगठित अपराध का अभियोजन सुनिश्चित करना, विभिन राज्यों में मानव तस्करी प्रकोष्ठ एवं कार्यबलों की स्थापना करना, पुलिस एवं अन्य संबंधित अधिकारियों के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान करना आदि प्रयास तस्करों पर लगाम कसने के लिये किये जा सकते हैं।

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