GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज) Part-1 (Q-8)

GS PAPER-1 (भारतीय समाज) Q-8
 
GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज)

Q.8 - आज भी भारतीय समाज में संबंध गुण, मानवीय कारक एवं शिक्षा पर आधारित होकर जाति, धर्म एवं क्षेत्रवाद से प्रेरित होते हैं। आलोचनात्मक परीक्षण करें
 
उत्तर :
भूमिका:
भारतीय समाज की विशेषताओं पर चर्चा -
पुरातन परंपराओं एवं मान्यताओं को साथ लेकर आधुनिकता की ओर बढ़ता भारतीय समाज अपने आंचल में विविधताको समेटे हुए है। विभिन्न धर्म, जाति एवं भाषा के लोग अपनी-अपनी भिन्न संस्कृतिका निर्वाह करते हुए परस्पर समन्वय के साथ रहते हैं।

विषय-वस्तु
मानवीय कारक एवं जाति-धर्म पर चर्चा -
  समाज में विविधता में एकताके बावजूद जब बात मानवीय संबंधों की आती है तो गुण, मानवता एवं शिक्षा आदि बातें द्वितीयक हो जाती है तथा जाति, धर्म एवं क्षेत्र विशेष प्राथमिक हो जाते हैं। पुरातन रूढ़ियों के कारण जाति-धर्म-क्षेत्रआज भी संबंधों का निर्धारण इस स्तर पर करते हैं कि यदि आधार बदलता है तो ऑनर किलिंग जैसी घटनाएँ सामने आती हैं। साक्षरता, आधुनिकता, तकनीक के क्षेत्र में लगातार विकास हो रहा है परंतु रूढ़िवादिता की जड़ें आज भी भारतीय समाज में गहराई तक व्याप्त हैं।
  दरअसल सामाजिक संबंधों विशेषकर विवाह संबंधों को भारतीय समाज सामाजिक प्रतिष्ठासे जोड़कर देखता है तथा यदि कोई अंतर्जातीय या अन्य धर्म के व्यक्ति से विवाह करता है तो यह तथाकथितसामाजिक प्रतिष्ठापर प्रहार माना जाता है। इस क्रम में रूढ़िवादी व्यक्ति अन्य जाति एवं धर्म के शिक्षित एवं गुणी व्यक्ति के साथ संबंधों से इतर अपने क्षेत्र, धर्म एवं जाति के अपेक्षाकृत कम योग्य व्यक्ति को प्राथमिकता देते हैं जिससे उनकी प्रतिष्ठा बनी रहे।

निष्कर्ष:
हालाँकि भारतीय समाज में इस रूढ़िवादिता एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति गंभीरता उच्च स्तर की है परंतु 21वीं सदी में यह बदल रही है। वर्तमान में अनेक अंतर्जातीय, अन्य धर्म में विवाह, महानगरों में लिव-इन रिलेशनशिप, समलैंगिकता के फैसले पर बहुत से लोगों एवं गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शित किया जाता है लेकिन भारतीय समाज में अब धीरे-धीरे ही सही परंतु संबंधों के निर्धारण का आधार बदल रहा है।


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