GS Paper-3 Environment (जीव विज्ञान और पर्यावरण) Part-1 (Q-3)

GS PAPER-3 (जीव विज्ञान और पर्यावरण) Q-3
 
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Q.3 - माइक्रोप्लेट्ससे आप क्या समझते हैं? ‘टूजो विल्सनकी अवधारणा किस प्रकार प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांतको समझने में सहायक सिद्ध हुई है?
 
उत्तर :
  प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का संबंध स्थलमंडलीय परिवर्तनों की व्याख्या करना है। वर्ष 1967 में मैकेन्जी पारकर और मोरगन ने स्वतंत्र रूप से उपलब्ध विचारों को समन्वित कर एक अवधारणा प्रस्तुत की, जिसे प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत कहा गया। विवर्तनिकी अंग्रेजी के टेक्टॉनिक (Tectonic) शब्द का पर्याय है जो ग्रीक भाषा के Tektonikos से लिया गया है। Tektonikos शब्द का अर्थ निर्माण अथवा रचना से है। एक विवर्तनिक प्लेट ठोस चट्टान का विशाल अनियमित आकार का खंड है, जो महाद्वीपीय अैर महासागरीय स्थलमंडलों से मिलकर बना है। ये प्लेटें दुर्बलता मंडल पर एक दृढ़ इकाई के रूप में क्षैतिज अवस्था में चलायमान हैं।
  एक प्लेट को महाद्वीपीय या महासागरीय प्लेट कहा जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस प्लेट का अधिकतर भाग कहाँ अवस्थित है। जैसे- प्रशांत प्लेट मुख्यतः महासागरीय प्लेट है, जबकि यूरेशियाई प्लेट को महाद्वीपीय प्लेट कहा जाता है। आकार के आधार पर प्लेटों को वृहद्, लघु और सूक्ष्म वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
  सूक्ष्म या माइक्रोप्लेट्स आकार में छोटी तथा 1 मिलियन वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल से कम आकार की होती हैं। ये प्लेटें वृहद् एवं लघु प्लेटों के किनारों पर पाई जाती हैं। जैसे- अफ्रीकी प्लेट के साथ मेडागास्कर प्लेट, सेशल्स माइक्रोकॉण्टिनेंट, रोवुमा प्लेट आदि तथा अंटार्कटिक प्लेट के साथ दक्षिण सैण्डविच प्लेट, शेटलैण्ड प्लेट_ कोकोस प्लेट के साथ रिवेरा प्लेट और मालपेलो प्लेट आदि।
  इस सिद्धांत में प्लेट शब्दावली का सबसे पहले उपयोग कनाडा के भू-वैज्ञानिक टूजो विल्सन ने किया था। विल्सन के अनुसार पृथ्वी का क्रस्ट भाग विभिन्न प्लेटों में विभक्त है, जो दुर्बलता मंडल पर क्षैतिज दिशा में क्रियाशील है।
  टूजो विल्सन ने प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत में हॉटस्पॉट और संक्रमण परिसीमा की अवधारणा स्पष्ट की। यद्यपि विल्सन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत अस्पष्ट और परिकल्पना (Hypothesis) पर आधारित था किंतु इसी सिद्धांत को आधार बनाकर कालांतर में डब्ल्यू. जे. मॉर्गन और ली पिचोन ने इसे तार्किक और सरल रूप में प्रस्तुत किया।
 
निष्कर्ष:
यह कहा जा सकता है कि विल्सन के सिद्धांत ने गहरे महासागरीय गर्त, पर्वत शृंखलाएँ, ज्वालामुखी शृंखलाएँ, वृहद् भूकम्पीय क्षेत्रें का वितरण आदि को समझाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही वृहद्, लघु और सूक्ष्म प्लेटों का वर्गीकरण भी टूजो विल्सन के सिद्धांत से प्रभावित है।

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