Q.15 - अफ्स्पा (AFSPA)
पर चर्चा करते हुए इसके मुख्य प्रावधानों और संबंधित विवादों पर प्रकाश डालें। साथ ही अनुच्छेद 371 के प्रावधानों पर भी चर्चा करें।
उत्तर
:
भूमिका:
1958 में लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार
अधिनियम (अफ्स्पा),
उपद्रवग्रस्त घोषित किये गए क्षेत्रों में कार्यवाही कर
रहे सैनिकों को अभियोजन से सुरक्षा प्रदान करती है।
विषय-वस्तु
उत्तर-पूर्व में अफ्स्पा सर्वप्रथम असम के
नागाहिल क्षेत्र में 1958
में लगा। बाद के वर्षों में उत्तर-पूर्व के सभी
राज्यों में परिस्थिति के अनुसार लागू किया गया। यह कानून सैनिकों को अशांत
इलाकों में कानून का उल्लंघन कर रहे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ गोली चलाने
तथा बल प्रयोग की अनुमति देता है। 1972
से पहले राज्य के किसी भाग को
उपद्रवग्रस्त घोषित करने का अधिकार राज्य को था,
अब यह शक्ति केंद्र के पास
है।
अफ्स्पा के मुख्य प्रावधान
→ यह कानून असम,
मणिपुर,
मेघालय,
नागालैंड,
त्रिपुरा,
अरुणाचल प्रदेश व
मिजोरम के उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में शांति व सुरक्षा के उद्देश्य से
सशस्त्र बलों की तैनाती का प्रावधान करता है।
→ इसके तहत एक साधारण अधिसूचना के जरिये राज्य का राज्यपाल या संघ शासित
प्रदेश का प्रशासक अथवा केंद्र सरकार,
राज्य में अशांति या खतरनाक स्थिति
उत्पन्न हो जाने पर संपूर्ण राज्य या किसी भाग को उपद्रवग्रस्त घोषित कर
सकते हैं।
→ यह सशस्त्र बल के अधिकारियों को अधिकार देता है कि वे कानून एवं
व्यवस्था को बनाए रखने हेतु आवश्यकता पड़ने पर चेतावनी तथा गोलाबारी भी कर
सकते हैं;
भले ही इसमें किसी की मृत्यु हो जाए।
→ अफ्स्पा के तहत बिना वारंट के गिरफ्तार करने और शस्त्र निक्षेपणों को नष्ट करने का अधिकार सशस्त्र बल को दिया गया है।
→ अफ्स्पा के तहत गिरफ्तार किये गए किसी भी पुरुष अथवा महिला को पुलिस
थाने में मुख्य पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश करने का प्रावधान भी है। लेकिन
कानून की धारा 6
ऐसे पुलिस अधिकारियों को कानूनी कार्यवाही,
मुकदमा आदि से
सुरक्षा प्रदान करती है। इस कारणवश पुलिस अधिकारी निरंकुश व मनमाने ढंग से
बर्बर व्यवहार करते हैं।
अफस्पा से संबंधित विवाद
→ मानवाधिकार-आंतरिक सुरक्षा
→ एक्स्ट्राज्युडिशियल किलिंग
→ राष्ट्रीय एकता और अखंडता-मूल अधिकार
→ केंद्र-राज्य संबंध
अफ्स्पा एवं अनुच्छेद 371
→ अफ्स्पा की आलोचना का आधार यह है कि अनुच्छेद 371
‘क’ में नागालैंड
राज्य के संघ में उल्लिखित प्रावधानों व उसकी मूल भावनाओं का उल्लंघन करता
है।
→ अनुच्छेद 371
‘क’ के अनुसार संसद का कोई अधिनियम नागालैंड राज्य के
संबंध में तब तक लागू नहीं होगा,
जब कि कि नागालैंड की विधानसभा संकल्प
द्वारा इस आशय का विनिश्चय नहीं करती है।
→ अनुच्छेद 371
क-1
(ख) प्रावधान करता है कि नागालैंड के राज्यपाल का
नागालैंड राज्य में विधि और व्यवस्था के संबंध में तब तक विशेष
उत्तरदायित्व रहेगा,
जब तक उस राज्य के निर्माण के ठीक पहले नागा पहाड़ी
क्षेत्र (त्युएनसांग क्षेत्र) में विद्यमान आंतरिक अशांति,
उसकी राय में
किसी भाग में बनी रहती है और राज्यपाल उस संबंध में अपने कृत्यों का
निर्वहन करने में की गई कार्यवाही के बारे में अपने व्यक्तिगत निर्णय का
प्रयोग मंत्रिपरिषद से परामर्श के पश्चात् करेगा। इसके विपरीत सशस्त्र बलों
द्वारा की जाने वाली कार्यवाही इसके अधिकार पर चोट करती है।
निष्कर्ष:
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-