Q.12 - इंडो-इस्लामिक कला के विकास क्रम में फतेहपुर सीकरी एक मील का पत्थर है, यह इस्लामी और हिंदू स्थापत्य का सुंदर सामंजस्य है। कथन की तथ्यात्मक पुष्टि करें।
उत्तर :
भूमिका:
हिंदू-इस्लामी या इंडो-इस्लामिक शैली के बारे में -
सल्तनतकाल में ही भारतीय तथा इस्लामी शैलियों की विशेषताओं से युक्त स्थापत्य का विकास हुआ, जिसे हिंदू-इस्लामी या इंडो-इस्लामिक शैली कहा जाता है। इसी का विकास-क्रम मुगलकालीन स्थापत्य फतेहपुर सीकरी में देखने को मिलता है।
विषय-वस्तु
इंडो-इस्लामिक शैली एवं मुगल वास्तुकला का परिचय -
इंडो-इस्लामिक शैली की प्रमुख विशेषताओं में भारतीय शहतीरी शिल्प कला और मेहराबी कला का समन्वय, इमारतों की साज-सज्जा में भारतीय अलंकरण और इस्लामी सादगी का समन्वय तथा जोड़ने के लिये अच्छे गारे का इस्तेमाल और डॉटदार पत्थरों का प्रयोग शामिल है।
मुगल वास्तुकला इंडो-इस्लामिक शैली का अंतिम पड़ाव है, जिसकी मीलों घेरा वाला शहर तथा घुमावदार, कोणदार और रंगीन मेहराब का इस्तेमाल, पित्रादूरा तकनीक आदि प्रमुख विशेषताएँ हैं। फतेहपुर सीकरी का किला इंडो-इस्लामिक स्थापत्य का बेहतरीन उदाहरण है।
फतेहपुर सीकरी की विशेषताओं पर ज़ोर -
→ आगरा से 36 किलोमीटर पश्चिम में स्थित लाल बलुआ पत्थर से निर्मित फतेहपुर सीकरी अकबर की महत्त्वाकांक्षी वास्तुकलात्मक परियोजनाओं का प्रतिबिंब है। यहाँ दो श्रेणी के भवन हैं- धार्मिक एवं लौकिक। धार्मिक भवनों, जैसे- जामा मस्जिद और बुलंद दरवाज़ा में इस्लामी प्रभाव ज़्यादा दृष्टिगोचर होते हैं, जबकि लौकिक या धर्मनिरपेक्ष भवनों (प्रशासनिक भवन, महल या विविध) में भारतीय तत्त्वों की अधिकता है। जोधाबाई के महल में हिंदू एवं जैन मंदिरों की विशेषता देखने को मिलती है। पंचमहल की सपाट छत को सहारा देने के लिये विभिन्न स्तंभों का इस्तेमाल किया गया है, जो मंदिरों एवं विहारों की शैली को दर्शाता है। पाँच मंजिला पंचमहल या हवामहल मरियम-उल-जमानी द्वारा सूर्य को अर्घ्य देने के लिये बनवाया गया था जहाँ से अकबर की मुसलमान बेगमें ईद का चाँद देखती थीं।
→ जोधा का महल प्राचीन घरों जैसा बनवाया गया था। इसके बनवाने तथा सजाने में अकबर ने अपनी रानी की हिंदू भावनाओं का विशेष ख्याल रखा। भवन के अंदर आँगन में तुलसी का चौरा है और सामने दालान में एक मंदिर के चिह्न हैं। दीवारों में मूर्तियों के लिये आले बने हैं। कहीं-कहीं दीवारों पर कृष्णलीला के चित्र हैं, जो बहुत फीके पड़ गए हैं। इसी प्रकार टोडरमल के महल या तानसिंह के महल में हिंदू प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार फतेहपुर सीकरी के स्थापत्य में अकबर के ‘सुलह-ए-कुल’ की नीति का बिंब हिंदू-मुस्लिम स्थापत्य के सामंजस्य के रूप में देखा जा सकता है।