GS Paper-3 Disaster Management (आपदा प्रबंधन) Part-1 (Q-1)

GS PAPER-3 (आपदा प्रबंधन) Q-1
 
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Q.1 - भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंपों की आवृत्ति बढती हुई प्रतीत होती है। फिर भी इनके प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु भारत की तैयारी में महत्त्वपूर्ण कमियाँ है। विभिन्न पहलुओं की चर्चा कीजिये।
 
उत्तर :
भूमिका:
भू-प्राकृतिक गतिविधियाँ के कारण पृथ्वी के भू-पटल में उत्पन्न तनाव का, उसकी सतह पर अचानक मुक्त होने से पृथ्वी की सतह के हिलने या काँपने को भूकंप कहते हैं।

विषय-वस्तु
भारत में भूकंप की स्थिति -
  भूकंप के प्राकृतिक कारकों में मुख्यत: विवर्तनिकी क्रिया, ज्वालामुखी क्रिया, समस्थितिक समायांजन तथा वितलीय कारक जिम्मेदार होते हैं। इसके अतिरिक्त मानवीय कारकों में मुख्यत: परमाणु विस्फोट, बाँध का निर्माण, खनन केंद्रों का धँसना इत्यादि जिम्मेदार है।
  हाल ही में भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंपों की संख्या बढ़ी है और इसकी पुष्टि नेपाल, पाकिस्तान, मणिपुर, उत्तराखंड में आए भूकंपीय घटनाओं से होती है। भारतीय उपमहाद्वीप में निरंतर भूकंप आने का मुख्य कारण इंडो-ऑस्ट्रेलियन तथा यूरेशियन प्लेट के टकराव से उत्पन्न हलचल एवं उससे निर्मुक्त ऊर्जा है। भारतीय प्लेट निरंतर यूरेशियन प्लेट को धक्का दे रही है और उसके नीचे क्षेपित हो रही है। इससे उत्पन्न ऊर्जा का संकेंद्रण इन हिमालीय भागों में रहता है। जब कभी यह ऊर्जा निर्मुक्त होती है तो भूकंपीय घटनाएँ घटित होती है।

भारत में भूकंप के खतरे को देखते हुए इसके निवारण हेतु मुख्यत: 6 आधार स्तंभ बनाए गए है जो निम्न है-
  भूकंप प्रवण क्षेत्रों में आपात स्थिति के लिये क्षमता निर्माण।
  नई भूकंपरोधी संरचनाओं का निर्माण।
  पुरानी संरचनाओं में भूकंपीय पुन: समायोजन एवं सुदृढ़ीकरण।
  नियमन एवं प्रवर्तन (अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारत में भी प्रत्येक 5 वर्षों में मानकों का पुनरीक्षण।
  जागरूकता एवं तैयारी (भूकंप निवारण से संबंधित शिक्षा का प्रसार)
  क्षमता निर्माण (प्रशिक्षण, प्रलेखन इत्यादि)

परंतु उपर्युक्त प्रक्रियाओं के संचालित होते हुए भी भारत में भूकंप के प्रभाव के न्यूनीकरण हेतु निम्नलिखित कमियाँ दिखाई देती हैं-
  भारत में अधिकांश भवन निर्माण में भूकंपरोधी भवन निर्माण मानकों का अनुपालन नहीं किया जाता है।
  यहाँ भूकंप सूचना तंत्र का अभाव है।
  भूकंप संबंधित नीति-निर्धारण में राज्य एवं केंद्र सरकार जिला आपदा प्रबंधन समितियों के मध्य समन्वय नहीं होना।
  भूकंप प्रभावित राज्यों द्वारा भूकंप से बचाव के लिये कोई विशेष अनुक्रिया का पालन नहीं किया जाता।
  नागरिक समाज में जागरूकता का अभाव।
  भूकंप से बचने के लिये मॉकड्रिल का आयोजन एवं संचालन लगातार होना।
  भूकंप संभावित क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी प्रियोजनाओं का निर्माण जो भूकंप की क्रियाशीलता को बढ़ा देते हैं।
  भूकंप से संबंधित मामलों में राज्य सरकारें पूर्णत: केंद्र सरकार पर निर्भर हैं।

भूकंप की भयावहता को कम करने के संबंध में -
कहा जाता है कि ‘‘भूकंप लोगों को नहीं मारते बल्कि इमारते मारती हैं।’’ भारत में भूकंप की विभिषिका को कम करने हेतु निम्न उपाय किये जा सकते है-
  ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड द्वारा जारी भूकंपरोधी बिल्ड़िग कोड को अनिवार्य किया जाए।
  इमारतों का सर्वे करना आवश्यक है तथा उन्हे भी भूकंप के खतरे को सहन करने की क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जाए तथा समय-समय पर इनकी ऑडिटिंग की जाए।
  राज्य एवं जिला स्तर पर भूकंप के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया दल का गठन किया जाए।
  भूकंप से बचाव हेतु आम जनता का क्षमता निर्माण किया जाए तथा समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाए।
  संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत आपदा उपरांत कार्यों पर जितना खर्च करता है अगर उतना खर्च अनुसंधान रोकथाम पर करे तो बेहतर परिणाम की प्राप्ति होगी।
 
निष्कर्ष:
अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

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