GS Paper-2 Social Justice (सामाजिक न्याय) Part-1 (Q.8)

GS PAPER-2 (सामाजिक न्याय) Q-8
 
https://upscquiztest.blogspot.com/

Q.8 - वर्तमान परिदृश्य में नि:शक्तता के विभिन्न आयामों को समझाइये तथा नि:शक्तजनों के सशक्तीकरण के मार्ग में विद्यमान चुनौतियों को स्पष्ट करते हुए उपयुक्त समाधान भी बताइये। (250 शब्द)
 
उत्तर :
नि:शक्तजन अधिनियम, 1995 के तहत अस्थिबाधित, दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित एवं मानसिक रूप से अविकसित बालक/बालिकाओं/व्यक्तियों को नि:शक्तजन की श्रेणी में रखा गया है। प्रारंभ से ही समाज का यह वर्ग उपेक्षित रहा है जिसे समाज की मुख्य धारा में जोड़ने आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से केंद्र राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर कई महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं जिनमें नि:शक्तजन अधिकार अधिनियम- 2016, इंदिरा गांधी विकलांग पेंशन योजना, राष्ट्रीय विकलांग पुरस्कार योजना, नि:शक्त विद्यार्थियों के लिये छात्रवृत्ति योजना इत्यादि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
वर्तमान समय में उपरोक्त योजनाओं का लाभ नि:शक्तजनों तक त्वरित परदर्शी तरीके से पहुँचाने के उद्देश्य से इन वर्गों को निम्नलिखित आयामों में वर्गीकृत करने पर विचार किया गया है-
  नि:शक्तजनों की जनसंख्या का निर्धारण।
  रोज़गार दिये जाने योग्य शिक्षित बेरोज़गार नि:शक्तजन का निर्धारण।
  नि:शक्त बच्चों के माता-पिता बीपीएल के अंतर्गत आते हैं या नहीं।
  गंभीर रूप से नि:शक्तजन जिन्हें निरंतर सहायता की आवश्यकता है।
  60 वर्ष से अधिक आयु के नि:शक्तजन।
  नि:शक्त महिलाएँ।
  असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले नि:शक्तजन।

सशक्तीकरण के मार्ग में विद्यमान चुनौतियाँ:
  नि:शक्तजनों की सामाजिक शारीरिक बाधाओं के कारण अधिकांश सामाजिक योजनाएँ इन वर्गों तक नहीं पहुँच पाती हैं।
  इन वर्गों के लिये उपलब्ध सहायता कार्यक्रम कवरेज में समावेशी तत्त्वों का पूर्ण अभाव है।
  सूचना का अभाव एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
  प्रशासनिक प्रबंधन संतोषजनक नहीं है।
  मंत्रालय विभागों की इन वर्गों के प्रति उदासीनता भी एक प्रमुख चुनौती के रूप में विद्यमान है।

समाधान के उपाय:
  नि:शक्तजनों के लिये संचालित किये जा रहे कार्यक्रमों की देख-रेख करने वाली सभी एजेंसियों विभागों को एक साथ समेकित किया जाना चाहिये।
  नि:शक्तजनों के लिये निर्धारित विभिन्न आयामों के अनुसार योजनाओं के डिज़ाइन संचालन पर बल देने की आवश्यकता है।
  इन वर्गों के लिये चलाए जा रहे कार्यक्रमों योजनाओं की त्वरित सूचना की व्यवस्था करनी चाहिये।
  प्रशासनिक प्रबंधन में आवश्यक सुधार पर बल देने की भी आवश्यकता है।
  स्थानीय, राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से अधिक संसाधनों को एकत्रित करने पर बल देने की आवश्यकता।
  इस प्रकार उपरोक्त समाधानों के माध्यम से नि:शक्तजनों के समक्ष विद्यमान चुनौतियों से निपटा जा सकता है और भारत में सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकता है।

Tags