GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज) Part-1 (Q-5)

GS PAPER-1 (भारतीय समाज) Q-5
 
GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज)

Q.5- महिलाओं के समक्ष विद्यमान निराशाजनक आर्थिक असमानता के परिदृश्य में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है क्योंकि वे अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक योगदान दे सकती हैं। तर्क दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
भारत जैसे देश में महिला श्रम बल भागीदारी को सही मायनों में अर्थव्यवस्था के विकास का इंजन कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, यदि देश की श्रमशक्ति में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो जाए तो इससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 27 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। 
वर्ष 1977 से 2018 के बीच भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति में 6.9% तक गिरावट पाई गई जो विश्व स्तर पर सर्वाधिक गिरावट है। यह श्रम बाज़ार में महिलाओं की भागीदारी की बदतर स्थिति को प्रदर्शित करती है।

अर्थव्यवस्था में योगदान को लेकर महिलाओं के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ -
  संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पारंपरिक रूप से विद्यमान लैंगिक असमानता ने महिलाओं को घरेलू कार्यों तक सीमित कर दिया है।
  विवाह और संतानों की देखभाल जैसी ज़िम्मेदारियों ने महिलाओं को श्रम बाज़ार से दूर कर दिया है।
  शैक्षणिक योग्यता, प्रजनन दर विवाह की आयु, आर्थिक विकास/चक्रीय प्रभाव, तकनीक की जानकारी और शहरीकरण जैसे घटक भी श्रम बाज़ार में महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी तय करते हैं।
  कृषि में महिलाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है किंतु तो उन्हें भूमि पर स्वामित्त्व प्राप्त है और ही कृषि में उनका प्रतिनिधित्त्व स्वीकार किया जाता है।

श्रमशक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु उपाय-
  इसके लिये शैक्षणिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पहुँच एवं उपयुक्तता, कौशल विकास, शिशु देखभाल की व्यवस्था, मातृत्व सुरक्षा और सुगम सुरक्षित परिवहन के साथ-साथ ऐसे विकास प्रारूप को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है, जो रोज़गार अवसरों का सृजन करे।
  नीति-निर्माताओं को यह देखना चाहिये कि बेहतर रोज़गार अथवा बेहतर स्वरोज़गार तक महिलाओं की पहुँच है या नहीं और देश के विकास के साथ उभरते नए श्रम बाज़ार अवसरों का लाभ वे उठा पा रही हैं या नहीं।
  महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित कर इन्हें सक्षम बनाने वाले नीतिगत ढाँचे का निर्माण किया जाना चाहिये, जहाँ महिलाओं के समक्ष आने वाली लैंगिक बाधाओं के प्रति सक्रिय जागरूकता मौजूद हो।
  महिलाओं को उपयुक्त कार्य के लिये उपयुक्त अवसर प्रदान करना , जो महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण में योगदान करेगा।

निष्कर्ष: महिलाओं के सामने विद्यमान विभिन्न चुनौतियों को दूर कर यदि उन्हें श्रम बल का भाग बनाया जाए तो देश निश्चित ही आर्थिक रूप से सशक्त होगा।

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