Q.19 - 16वीं सदी में इटली के लेखक वैसारी ने सर्वप्रथम 'पुनर्जागरण' शब्द का प्रयोग किया। इस शब्द के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसके उदय के प्रमुख कारणों की चर्चा करें।
उत्तर :
→ इटली के लेखक वैसारी ने सर्वप्रथम 16वीं सदी में होने वाले सामाजिक, धार्मिक व आर्थिक क्षेत्रों में परिवर्तन को “पुनर्जागरण” शब्द से संबोधित किया। वस्तुतः 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच जिन लौकिक प्रवृत्तियों का उदय हुआ उसे पुनर्जागरण चेतना का नाम दिया गया जिसका केंद्रीय तत्त्व मानवतावाद था। इसमें तर्क, जिज्ञासा की प्रवृत्ति, कला एवं साहित्य में मानवतावादी भावनाओं की अभिव्यक्ति शामिल थी। फलतः अनुसंधान और आलोचनात्मक प्रवृत्तियों का विकास हुआ।
पुनर्जागरण के उदय के प्रमुख कारण
→ यूरोप में 11वीं से 13वीं सदी के बीच ईसाई और इस्लाम के अनुयायियों के बीच धर्मयुद्ध हुआ, जिसमें इस्लाम की विजय हुई। परिणामस्वरूप पोप समर्थित सेना की पराजय ने मौजूद चर्च व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाया। इस पराजय से पोप/चर्च के प्रति संशय की प्रवृत्ति पैदा हुई।
→ धर्मयुद्ध के दौरान यूरोपियों का अरबों से संपर्क हुआ। फलतः अरबों के माध्यम से यूरोपीय भारतीय ज्ञान एवं परंपरा से परिचित हुए, जिससे उनकी रूढि़वादी आस्थाएँ एवं मान्यताएँ ध्वस्त होने लगीं।
→ धर्मयुद्ध के दौरान सामंतों की सेना समाप्त हो गई तथा अपार धन संपदा की क्षति हुई। परिणामस्वरूप सामंतों की समाज में पकड़ ढीली हुई और मानव अपने को स्वतंत्र महसूस करने लगा।
→ 15वीं सदी में जब तुर्कों ने रोमन साम्राज्य की राजधानी कस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिया तो यहाँ से बड़ी संख्या में विद्वान एवं कलाकार पलायन कर इटली चले गए। ये लोग अपने साथ प्राचीन रोमन साम्राज्य श्रेष्ठ साहित्य एवं चिंतन को साथ ले गए जिसमें प्राचीन ग्रीक एवं लैटिन साहित्य में मौजूद मानवतावादी चिंतन शामिल था। इन ग्रंथों का अध्ययन पुनः आरंभ हुआ। फलतः प्राचीन मानवतावादी चिंतन से प्रेरित होकर वर्तमान के संदर्भ में विचार होने लगा। इस तरह पुनर्जागरण की चेतना का उदय एवं विकास हुआ।
→ कस्तुनतुनिया के पतन के बाद भूमध्य सागरीय व्यापारिक मार्ग बाधित हो गया जिससे नए मार्गों की खोज को प्रोत्साहन मिला। इसी क्रम में कोलंबस ने अमेरिका व वास्को डी गामा ने भारत की खोज की। इन खोजों ने व्यक्तिगत उपलब्धियों एवं साहसिकता को बढ़ावा दिया, जबकि इसके पहले मानव उपलब्धि का श्रेय ईश्वर को दिया जाता था।
→ मध्यकाल में ज्ञान पर विशिष्ट लोगों का एकाधिकार था। परंतु पुनर्जागरण के समय प्रिंटिंग प्रेस के विकास के साथ ज्ञान सर्वसुलभ हो गया। बाइबिल का अनुवाद स्थानीय भाषाओं में हुआ। अब बाइबिल में ऐसा लिखा है, कहकर लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता है। अतः अब सत्य सत्ता की पुत्री नहीं बल्कि काल की पुत्री हो गई।
अतः पुनर्जागरण आंदोलन इटली से आरंभ होकर पूरे यूरोप में फैल गया और प्राचीन मानवतावादी चिंतन पुनः केंद्र में आ गया।