GS Paper-1 Geography (भूगोल) Part-1 (Q-19)

GS PAPER-1 (भूगोल) Q-19
 
GS Paper-1 Geography (भूगोल)

Q.19 - अंतर्वेधी आकृतियों (Intrusive forms) से आप क्या समझते है? विभिन्न अंतर्वेधी आकृतियों का संक्षेप में वर्णन करें।

उत्तर :

भूमिका में:

ज्वालामुखी उद्गार से बनी आकृतियों के बारे में -

ज्वालामुखी उद्गार से निकला लावा जब भूपटल के अंदर ही ठंडा हो जाता है तो इस प्रव्रिया में कई आकृतियों का निर्माण होता है जो अंतर्वेधी आकृतियाँ कहलाती हैं।

विषय-वस्तु में:

आग्नेय शैलों का निर्माण और उनके वर्गीकरण -

ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाले लावा के ठंउा होने से आग्नेय शैल का निर्माण होता है। यह लावा या तो धरातल पर पहुँचकर ठंडा और जमा होता है या धरातल तक पहुँचने से पहले भूपटल के नीचे ही ठंडा हो जाता है। लावा के ठंडा होने के स्थान के आधार पर आग्नेय शैलें- ज्वालामुखी शैलों (धरातल के ऊपर) और पाताली शैलों (धरातल के नीचे) में वर्गीकृत की गई हैं। जब यह लावा धरातल के नीचे ठंडा होता है तो कई आकृतियों का निर्माण होता है जिन्हें अंतर्वेधी आकृतियाँ कहते हैं। कुछ अंतर्वेधी शैलें निम्नलिखित हैं-

  बैथोलिथ- ये ग्रेनाइट के बने पिंड होते हैं जिनका निर्माण मैग्मा भंडारों के जमाव से होता है। यदि मैग्मा का बड़ा भाग भूपर्पटी में अधिक गहराई पर ठंडा हो जाए तो यह एक गुंबद के आकार में विकसित हो जाता है। कालांतर में अनाच्छादन प्रव्रियाओं द्वारा इनके ऊपर के पदार्थों के हटने से धरातल पर ये प्रकट होते हैं।

उदाहरण- कैलिफोर्निया का सियरा नेवादा

  लैकोलिथ- ये गुंबद के आकार की विशाल अंतर्वेधी चट्टानें हैं जो गहराई में पाई जाती हैं। इनका तल सपाट और एक नली द्वारा नीचे से जुड़ा होता है।

उदाहरण- ऊटा (Utah) का हेनरी पर्वत

  लैपोलिथ, फैकोलिथ सिल

ऊपर उठते हुए लावा का कुछ भाग जब क्षैतिज रूप में पाए जाने वाले कमज़ोर धरातल में चला जाता है तो अलग-अलग आकृतियों का निर्माण होता है। यदि यह तश्तरी के आकार में जम जाए तो लैपोलिथ कहलाता है और अगर अंतर्वेधी आग्नेट चट्टानों की मोड़दार अवस्था में लावा का जमाव होता है तो ये फैकोलिथ कहलाती हैं।

  अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों का क्षैतिज तल में एक चादर के रूप में ठंडा होना सिल या शीट कहलाता है। कम मोटाई वाले जमाव शीटएवं घने मोटाई वाले जमाव सिलकहलाते हैं।

उदाहरण- उत्तरी इंग्लैंड का विन-सिल

  डाइक- जब दरारों में धरातल के समकोण पर लावा का प्रवाह होता है और अगर यह इसी स्थिति में ठंडा हो जाए तो दीवार की भाँति एक संरचना का निर्माण होता है। इसे ही डाइक कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर हम देखते हैं कि पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र की अंतर्वेधी आग्नेय चट्टानों में यह आकृति काफी पाई जाती है।

निष्कर्ष

नोट: आप चाहें तो अपने उत्तर को बेहतर बनाने के लिये प्रत्येक प्रतिरूप के नीचे उसका डायग्राम भी बना सकते हैं।


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