GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज) Part-1 (Q-13)

GS PAPER-1 (भारतीय समाज) Q-13
 
GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज)

Q.13 - औद्योगिक क्रांति ने प्राचीन सिसकती संस्कृति में नवीनता का संचार किया है।इस कथन के संदर्भ में मानव संस्कृति पर औद्योगिक क्रांति के प्रभावों की विवेचना कीजिये।

उत्तर :

  औद्योगिक क्रांति ने मानव समाज तथा संस्कृति को जितना प्रभावित किया उतना अन्य किसी परिवर्तन ने नहीं किया।इस क्रांति का परिणाम था- नई जनता, नया वर्ग, नई नीतियाँ, नई समस्याएँ।

  औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप मनुष्य के सामाजिक संबंधों के आधार सूत्र बदल गए। संबंधों के परंपरागत, भावनात्मक कुलपरक, जातिमूलक आधार टूटने लगे। आर्थिक मापदंड संबंधों का मुख्य सूत्र बन गया। संबंधों के अर्थ आधारित होने से समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ी जिससे प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई। दूसरी ओर, श्रमिकों की बढ़ती शक्ति ने एक ऐसी सामाजिक चेतना को जन्म दिया जिसने व्यक्ति के सम्मान एवं उसके मूलभूत अधिकारों की सफलतापूर्वक मांग की।

  इस क्रांति से संयुक्त परिवार प्रणाली को काफी आघात पहुँचा। उत्पादन की घरेलू कुटीर प्रणाली के स्थान पर फैक्ट्री प्रणाली के प्रयोग में जाने से मालिक मज़दूरों के बीच परस्पर संघर्ष, श्रमिकों का शोषण, श्रमिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के ह्रास और साथ ही औद्योगिक नगरों केंद्रों की जनसंख्या बढ़ने से उनमें स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई।

  लोग रोज़गार की तलाश में शहरों की ओर पलायन करने लगे। बड़े-बड़े कृषि फार्मों की स्थापना के कारण छोटे किसानों को गाँव छोड़कर काम की तलाश में कारखानों में आना पड़ा जिससे औद्योगिक केंद्रों की आबादी बढ़ने लगी और तीव्र गति से जनसंख्या का शहरीकरण हुआ। अब अर्थव्यवस्था का आधार कृषि होकर नगर हो गए।

  अधिक उत्पादन को खपाने के लिये अविकसित पिछड़े देशों की तलाश ने उपनिवेशी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया।

  अठारहवीं सदी में जनसंख्या में तीन गुनी वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण चिकित्सा क्षेत्र में की गई महत्त्वपूर्ण खोजों के चलते मृत्यु दर में कमी आना था। उन्नीसवीं सदी में पुनः कृषि क्रांति हुई जिससे लोगों को पर्याप्त भोजन उपलब्ध हुआ। किंतु दूसरी ओर, जनसंख्या वृद्धि से आवास की समस्या में वृद्धि हुई और जनस्वास्थ्य की समस्या उत्पन्न हुई। प्रदूषित वातावरण, गंदी बस्तियों तथा शुद्ध जल की व्यवस्था होने से अनेक रोगों का प्रकोप बढ़ा अठारहवीं सदी के अंतिम चरण में सुधारकों विचारकों ने स्त्रियों को अधिक राजनीतिक एवं व्यावसायिक सुविधाएँ प्रदान करने की सिफारिश की ताकि वे स्वतंत्र जीवन का अनुभव कर सकें। धीरे-धीरे सभी व्यापार व्यवसायों में स्त्रियों को प्राथमिकता दी जाने लगी।

  इस दौर में परंपरागत शिक्षा का स्थान तकनीकी शिक्षा ने ले लिया। कई अनुसंधान केंद्रों तथा विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई।धार्मिक रूढि़वादिता में शिथिलता के तत्त्व देखे गए तथा तर्कवाद, बुद्धिवाद को बढ़ावा मिला। साथ ही मनोरंजन के साधनों तथा अवसरों की उपलब्धता बढ़ी।

अतः स्पष्ट है कि औद्योगिक क्रांति के परिणामों ने मानव संस्कृति को सिर्फ नकारात्मक, अपितु सकारात्मक रूप से भी प्रभावित किया।


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