GS Paper-1 Geography (भूगोल) Part-1 (Q-9)

GS PAPER-1 (भूगोल) Q-9
 
GS Paper-1 Geography (भूगोल)

Q.9 - ऋणात्मक ताप पतन दरकी अवधारणा को स्पष्ट करते हुए तापीय प्रतिलोमन के प्रकारों की विवेचना करें।
उत्तर :
भूमिका:
सामान्यत: ऊँचाई के साथ तापमान में गिरावट होती है जिसे सामान्य ह्यस दर (Normal lepse rate) कहते हैं। यह प्रति 1,000 मीटर की ऊँचाई बढ़ने पर 6.5 सेल्सियस है जो क्षोभसीमा तक ही विस्तारित रहती है। परंतु, इस सामान्य ताप पतन के विपरीत कभी-कभी ऊँचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है। इसे ही ऋणात्मक ताप पतन दर’ (Negative lapse rate) कहते है।

विषय-वस्तु
तापीय प्रतिलोमन -
ऋणात्मक ताप पतन दरके कारण नीचे की अपेक्षाकृत ठंडी वायु की परत के ऊपर गर्म वायु की परत स्थित हो जाती है। यह स्थिति तापमान का प्रतिलोमन कहलाती है। यह स्थिति धरातल के निकट भी उत्पन्न हो सकती है। अधिक ऊँचाई पर होने वाला प्रतिलोमन अधिक स्थायी होता है क्योंकि पार्थिव विकिरण के कारण ऊपर की गर्म परत को ठंडा करने में अधिक समय लगता है, जबकि धरातल के निकट होने वाला प्रतिलोमन अल्पकालिक होता है क्योंकि विकिरण के कारण ठंडी परत का लोप शीघ्र हो जाता है। तापीय प्रतिलोमन ध्रुवीय प्रदेशों, मध्य अक्षांशों के हिमाच्छादित भागों तथा घाटियों में अधिक देखने को मिलता है।

तापीय प्रतिलोमन के प्रकारों पर चर्चा -
विभिन्न प्रकार की दशाओं एवं कारकों के कारण तापमान का प्रतिलोमन होता है। यह प्रतिलोमन सतह के पास या सतह के ऊपर वायुमंडल की स्थिर दशाओं में या ठंडी एवं गर्म हवाओं के एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश करने के कारण होता है।
तापमान के प्रतिलोमन को मुख्यत: तीन वर्गों में विभाजित किया गया है-

1. तापीय या विकिरण प्रतिलोमन
  यह प्रतिलोमन धरातल के निकट वायुमंडल के सबसे निचले भाग में घटित होता है।
  खासतौर पर मध्य तथा उच्च अक्षांशों के बर्फ से ढके क्षेत्रों में जहाँ जाड़े की लम्बी रात्रि पाई जाती है।
  अनुकूल दशाओं के तहत आकाश स्वच्छ तथा बादल रहित होना चाहिये, धरातल के पास शुष्क पवनें पाई जानी चाहिये।
  वायुमंउल शांत तथा स्थिर होना चाहिये और पवन का संरचरण मंद होना चाहये।

2. अभिवहनीय या सम्पर्कीय प्रतिलोमन
  जब क्षैतिज रूप से ठंडी हवा के ऊपर गर्म हवा जाती है। उदाहरणस्वरूप: शीतोष्ण चव्रवातों में।
  क्षैतिज तौर पर गर्म वायु का अपेक्षाकृत ठंडी वायु के क्षेत्र में या विपरीत स्थिति हो। उदाहरणस्वरूप- सागर तटीय क्षेत्रों में।
  जब गर्म एवं ठंडी हवा में लम्बवत गति हो। उदाहरणस्वरूप- पर्वतीय घाटियों में।

3. यांत्रिक प्रतिलोमन
  ऐसा प्रतिलोमन धरातल से ऊपर वायुमंउल में ऊँचाई पर होता है।
  इस प्रतिलोमन के कारणों में पार्थिव विकिरण, अवशोषण एवं पवन संपर्क जैसे कारकों का हाथ नहीं होता।
  यह प्रतिलोमन वायुमण्डल में वायु के ऊपर या नीचे गतिशील होने के कारण होता है, जो प्रतिचव्रवातीय दशाओं के साथ अधिकांशत: पाया जाता है।
  मध्य अक्षांशों में वायु के उतरने के स्थान पर यांत्रिक प्रतिलोमन एक सामान्य प्रव्रिया मानी जाती है।
  चूँकि प्रतिलोमन के कारण वायुमण्डल में स्थिरता जाने से वर्षा नहीं हो पाती है इसलिये व्यापारिक हवाओं का ध्रुवों की ओर वाला भाग शुष्क होता है।

निष्कर्ष:-
       अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-


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