GS Paper-3 Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था) Part-1 (Q-5)

GS PAPER-3 (भारतीय अर्थव्यवस्था) Q-5
 
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Q.5 - भारत में व्यापार घाटे का एक प्रमुख कारण रहे, स्वर्ण आयात, में कमी लाने के उद्देश्य से लाई गई स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को आप किस हद तक सफल और असफल मानेंगे। हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में किये जा रहे बदलाव के मद्देनजर इस पर चर्चा करें।
 
उत्तर :
भूमिका:
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना की शुरुआत 2015 में की गई थी। हाल ही में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना में कुछ बदलाव लाने की घोषणा की है।

विषय-वस्तु
स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना के बारे में चर्चा -
  स्वर्णमुद्रीकरण योजना के तहत कोई भी व्यक्ति अपने बेकार पड़े सोना को बैंक में सावधि जमा के रूप में जमा कर सकता है। इस पर इन्हें 2.25% से 2.50% तक ब्याज मिलता है एवं परिपक्वता अवधि के पश्चात् वे इसे सोना अथवा रुपए के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। इस स्कीम के तहत इसमें कम-से-कम 30 ग्राम 995 शुद्धता वाला सोना बैंक में रखना होता है। जिसमें बैंक गोल्ड वार, सिक्के, गहनों को स्वीकृति दी गई है।
  भारत द्वारा बड़े पैमाने पर किये जाने वाले स्वर्ण आयात को कम करने के लिये प्रारंभ की गई थी क्योंकि भारत के व्यापार घाटे की एक बड़ी वजह स्वर्ण आयात को माना जाता है। उम्मीद की गई थी इस पहल से घरों एवं मंदिरों में बेकार पड़ा सोना बड़ी मात्रा में बैंकों में जमा होगा। जिसे पिघलाकर जौहरियों एवं अन्य प्रयोक्ताओं को प्रदान किया जा सकेगा। इस प्रकार सोने के पुर्नचक्रण के माध्यम से सोने के आयात में कमी आएगी।

मुद्रीकरण योजना किस हद तक सफल और असफल रही एवं इसमें RVI द्वारा किये जा रहे बदलावों पर चर्चा -
  एक तरफ भारत के घरों एवं मंदिरों में लगभग 20,000 टन सोना पड़ा है, वहीं दूसरी तरफ सोने के आयात में लगातार वृद्धि भी हो रही है। भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक है एवं भारत के व्यापार घाटे के एक-चौथाई से अधिक भाग का कारण सोने का आयात है।
  भारत में स्वर्ण-स्टॉक का तीन-चौथाई से अधिक आभूषणों एवं मूर्तियों के रूप में विद्यमान है जिससे लोगों का भावनात्मक जुड़ाव भी होता है। चूँकि इस योजना के तहत जमा सोने को पिघलाया जाता है, अत: लोगों का इस योजना की तरफ कम झुकाव होना स्वभाविक है।
  इसके अलावा, बैंकों में जमा करवाने पर सोना अधिकारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाएगा, जिससे अनधिकृत धन एवं कालेधन से खरीदे गए सोने को जमा करना मुश्किल है।
  अभी भी लोगों को इस योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है एवं वित्तीय समावेशन की कमी के कारण जनता के एक भाग की बैंकों तक पहुँच भी नहीं है।
  भारत में सोने को ऋण लेने के लिये जमानत के रूप में प्रयोग किया जाता है एवं संकर काल के लिये बचाकर रखा जाता है। सावधि जमा खाते में जमा करवाने पर वे सोने का ऐसा उपयोग नहीं कर पाएंगे।
  इन्हीं सबके मद्देनज़र आरबीआई ने इस योजना में कुछ संशोधन किये है जिसके तहत अब चैरिटेबल संस्थाएँ, राज्य सरकारे और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के अधीन कोई संस्था भी इस योजना का लाभ उठा सकेगी।
 
निष्कर्ष:
स्वर्ण-मुद्रीकरण योजना आर्थिक दृष्टिकोण से एक प्रगतिशील पहल है जो निवेशकों द्वारा सोने के इष्टतम उपयोग को बढ़ाने एवं देश के व्यापार घाटे को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकती है। अत: सरकार द्वारा सोने की तरलता एवं पूंजी लाभों को सुनिश्चित कर इस योजना को सफल बनाया जा सकता है।

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