GS Paper-3 Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था) Part-1 (Q-1)

GS PAPER-3 (भारतीय अर्थव्यवस्था) Q-1
 
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Q.1 - वित्तीय समाधान और जमा बीमा विधेयक, 2017 की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। इस विधेयक से जुड़ी कौन-कौन सी चिंताएँ हैं? (250 शब्द)
 
उत्तर :
वित्तीय क्षेत्र की संस्थाओं के दिवालियापन की स्थिति से निपटने के लिये वित्तीय समाधान एवं जमाराशि विधेयक, 2017 लाया गया है। अगस्त 2017 में लोकसभा में पेश होने के बाद संसद की संयुक्त समिति के समक्ष अभी विचाराधीन है।
           वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
  इसमें बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के दिवालियापन की स्थिति से निपटने के प्रावधान किये गए हैं।
  यह विधेयक गैर-वित्तीय संस्थाओं की तरलता के समाधान के लिये लागू किये गए तरलता एवं दिवालियापन संहिता, 2016 (मोड) के प्रतिपूरक की भूमिका निभाता है।
  फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के गठन का प्रावधान किया गया है जिसके ज़रिये वित्तीय संस्थाओं को बेल-इन (संकटकालीन वित्तीय सहायता) देने की बात की गई है।
  बेल-इनका प्रावधान प्रस्तावित कॉर्पोरेशन को बैंक द्वारा देय दायित्व को रद्द करने या किसी अन्य सुरक्षा के मौजूदा दायित्व के रूप को परिवर्तित करने का भी अधिकार प्रदान करता है।
 
विधेयक से संबंधित प्रमुख चिंताएँ निम्नलिखित हैं-
  इस विधेयक में डिपॉजिट इंश्योरेंस एवं व्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है। यह जमाकर्त्ताओं को गारंटी देता कि बैंक के दिवालिया की स्थिति में एक लाख रुपए तक का भुगतान किया जाएगा। इस विधेयक में गारंटी-शुदा भुगतान के मामले में कुछ नहीं कहा गया है।
  बेल-इनप्रावधान के तहत बैंक सरलता से ग्राहक के पैसे का पुर्नभुगतान करने से या तो मना कर सकता है या वरीयता प्राप्त शेयरों (निश्चित लाभांश की कोई गारंटी नहीं) के रूप में ग्राहक को प्रतिभूतियाँ जारी कर सकता है।
  विधेयक की धारा 52 बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति में जमाकर्त्ता को जायज़ दावे से वंचित करती है।
  वस्तुत: वित्तीय समाधान और जमाराशि बीमा विधेयक, 2017 वित्तीय संकट के समय वित्तीय सेवा प्रदाताओं के बीच अनुशासन स्थापित करने की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इससे संबंधित चिंताओं का समाधान कर जमाकर्त्ताओं को भी विश्वास में लिया जाना चाहिये।

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