GS Paper-1 History (इतिहास) Part-1 (Q.6)

GS PAPER-1 (इतिहास) Q-6
 
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Q.6 - औपनिवेशिक अर्थतंत्र ने किस प्रकार आदिवासी विद्रोहों के प्रस्फुटन की पृष्ठभूमि का निर्माण किया? पूर्वी भारत के आदिवासी विद्रोहों का उदाहरण लेते हुए उत्तर दीजिये।
 
उत्तर :
  आदिवासी भारत के मूल निवासी हैं, जो औपनिवेशिक काल में वनों और उसके आस-पास के क्षेत्रों में रहते थे। ये वन प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण थे तथा आदिवासियों के जीवनवृत्ति के मुख्य स्रोत थे। आदिवासी लोग स्वभाव से सरल प्रकृति के तथा स्वतंत्रता पसंद होते हैं, उन्हें अपने सामाजिक जीवन में बाह्य हस्तक्षेप बिल्कुल पसंद नहीं होता है लेकिन औपनिवेशिक आर्थिक, प्रशासनिक नीतियों ने आदिवासियों को अपने घेरे में लिया। अंग्रेजों ने खनिज संपदा इमारती लकडि़यों एवं सस्ते मज़दूरों की आपूर्ति के लिये वनों की ओर रुख किया, फलतः उन्हें कई आदिवासी विद्रोहों का सामना करना पड़ा।
  भारत के पूर्वी क्षेत्र में आदिवासियों की बाहुल्यता रही है तथा विद्रोह भी सबसे अधिक यहीं हुए हैं। इन विद्रोहों के कारण थे : 
  1793 के स्थायी बंदोबस्त के बाद आदिवासियों की ज़मीनें छीन ली गईं तथा नीलामी द्वारा ज़मींदारों को दे दी गई। जमींदारों ने ये जमीनें पुनः बाह्य किसानों को खेती के लिये दे दी।
  आदिवासियों के ऊपर वन उत्पादों के संग्रह एवं बिक्री पर रोक लगा दी गई जिससे उनके जीवन-यापन पर संकट उत्पन्न हो गया।
  बाहर से आए हुए महाजन अत्यधिक ऊँची दर पर ऋण देते थे, जिसे चुका पाना आदिवासियों के लिये मुश्किल होता था। 
  अंग्रेजों ने रेलमार्ग निर्माण, बागवानी, खेतों तथा उद्योगों में सस्ते मज़दूरों के रूप में आदिवासियों का उपयोग किया।
  आर्थिक शोषण के साथ-साथ सामाजिक-धार्मिक जीवन में भी हस्तक्षेप करना प्रारंभ किया गया तथा मिशनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन भी शुरू कर दिया गया।
  महाजनों, जमींदारों तथा अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों का शोषण विशेषकर पूर्वी भारत के कोल, भील, मुंडा, संथाल आदि समुदाय के लिये जब असह्य हो गया तो उन्होंने विद्रोह कर दिया। वे अपने क्षेत्र को बाह्य लोगों से मुक्त करने की भावना से प्रेरित थे। यद्यपि ये विद्रोह अंग्रेजों द्वारा कुचल दिये गए परंतु स्वतंत्रता और आत्मसम्मान की जो जिजीविषा आदिवासियों ने उत्पन्न की वह लोगों के लिये एक मिसाल बनी तथा इसने स्वतंत्रता की आग को और भड़काने का कार्य किया।


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