Q.14 - प्रमुख वनस्पति प्रकार तथा जलवायु परिस्थिति के आधार पर भारतीय वनों के प्रकारों को समझाएँ।
उत्तर :
भूमिका:
प्राकृतिक वनस्पति एवं जलवायु परिस्थिति का अंतर्संबध -
प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ उस पौधा समुदाय से लिया जाता है, जो लंबे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है और इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में बहुत हद तक स्वयं को ढाल लेती हैं।
विषय-वस्तु
भारतीय वनों के प्रकारों का विस्तार -
भारत में विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ पाई जाती हैं, मिट्टी और जलवायु में विभिन्नता के कारण भारतीय वनस्पति में क्षेत्रीय भिन्नताएँ पाई जाती हैं। हिमालय पर्वतों पर जहाँ शीतोष्ण कटिबंधीय वनस्पति उगती है वहीं, पश्चिमी घाट एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं तथा राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की झाड़ियाँ और काँटेदार वनस्पति पाई जाती है।
प्रमुख वनस्पति प्रकार तथा जलवायु परिस्थिति के आधार पर भारतीय वनों को निम्न प्रकारों में बाँटा जा सकता है-
1. उष्णकटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध-सदाबहार वन
→ पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की पहाड़ियों एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ये वन पाए जाते हैं।
→ उष्ण एवं आर्द्र प्रदेशों में, जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक और औसत तापमान 22° सेल्सियस से अधिक हो।
→ ये वन सघन होते हैं, जहाँ भूमि के नज़दीक झाड़ियाँ और लताएँ, इनके ऊपर अधिपादप और सबसे ऊपर लंबे और विशाल वृक्ष होते हैं।
→ इन वनों में पत्तों के झड़ने, फूल आने और फल लगने का समय अलग-अलग होता है, इसलिये ये वर्ष भर हरे-भरे दिखाई पड़ते हैं।
→ मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ - रोजवुड, महोगनी, ऐनी और एबनी।
→ अर्द्ध-सदाबहार वन सदाबहार और पर्णपाती वनों के मिश्रित रूप हैं जिनकी मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ साइडर, होलक और कैल हैं।
2. उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
→ ये वन प्रायद्वीप में अधिक वर्षा वाले भागों और उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं।
→ भारत में ये वन बहुतायत में पाए जाते हैं। इन्हें मानसून वन भी कहा जाता है।
→ ये वन 70 से 200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं।
जल उपलब्धता के आधार पर इन वनों को आर्र्द और शुष्क पर्णपाती वनों में बाँटा जाता है।
→ आर्द्र पर्णपाती वन: जहाँ वर्षा 1000 से 200 सेंटीमीटर हो।
♦ ये वन उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालय के गिरिपद,
पश्चिमी घाट के पूर्वी ढालों और ओडिशा में पाए जाते हैं।
♦ मुख्य वृक्ष: सागवान,
साल,
शीशम,
महुआ,
आँवला,
कुसुम।
→ शुष्क पर्णपाती वन: जहाँ वर्षा 70 से 100 सेंटीमीटर होती है
♦ ये वन उत्तर प्रदेश व बिहार के मैदानी भागों में पाए जाते हैं।
♦ मुख्य वृक्ष: पलास,
अमलतास,
बेल,
खैर और अक्साइड।
3. उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन
→ ये वन दक्षिण-पश्चिमी पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
→ 50 सेंटीमीटर से कम वर्षा वाले क्षेत्र में ये वन पाए जाते हैं।
→ इनमें कई प्रकार की घास और झाड़ियाँ शामिल हैं, यथा- बबूल, बेर, खजूर, खैर, नीम, खेजड़ी और पलास।
4. पर्वतीय वन: इन वनों को 2 भागों में बाँटा गया है- उत्तरी पर्वतीय वन और दक्षिणी पर्वतीय वन।
पर्वतीय क्षेत्रों में ऊँचाई के साथ तापमान घटने के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी बदलाव आता है।
उत्तरी पर्वतीय वन:
→ हिमालय के गिरिपद पर पर्णपाती वन पाए जाते हैं एवं 1,000 से 2,000 मीटर की ऊँचाई पर आर्द्र्र शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं
→ ब्ल्यूपाइन और स्प्रूस 2,225 से 3,048 मीटर की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। इससे अधिक ऊँचाई पर एल्पाइन वन और चरागाह पाए जाते हैं।
→ 3,000 से 4,000 मीटर की ऊँचाई पर सिल्वर फर, जूनिपर, पाइन, बर्च और रोडोडेन्ड्रॉन वृक्ष मिलते हैं।
→ अधिक ऊँचाई वाले भागों में टुण्ड्रा वनस्पति जैसे- मॉस व लाइकेन आदि पाई जाती है।
दक्षिणी पर्वतीय वन: ये वन मुख्यत: प्रायद्वीप के तीन भागों यथा- पश्चिमी घाट, विंध्याचल और नीलगिरि पर्वत शृंखलाओं पर पाए जाते हैं।
5. वेलांचली व अनूप वन
→ भारत में विभिन्न प्रकार के आर्द्र व अनूप आवास पाए जाते हैं।
→ भारत में आर्र्द भूमि को आठ वर्गों में रखा गया है। मैंग्रोव वन अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह व पश्चिम बंगाल के सुंदर वन डेल्टा के अलावा महानदी, गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टाई भाग में पाए जाते हैं।
निष्कर्ष
अंत में संतुलित, संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-