GS Paper-3 Indian Economy (भारतीय अर्थव्यवस्था) Part-1 (Q-9)

GS PAPER-3 (भारतीय अर्थव्यवस्था) Q-9
 
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Q.9 - सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास के लिये एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण हेतु स्थापित निर्यात संवर्द्धन सेल की भूमिका पर प्रकाश डालें। भारतीय अर्थव्यवस्था में इसके महत्त्व और भूमिका को रेखांकित करते हुए इसकी चुनौतियों को बताएँ।
 
उत्तर :
भूमिका:
निर्यात संवर्द्धन सेल के उद्देश्य -
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा MSME के विकास के लिये निर्यात संवर्द्धन सेल की स्थापना की गई है ताकि इस क्षेत्र में एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित किया जा सके।

विषय-वस्तु
निर्यात संवर्द्धन सेल की स्थापना से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों पर पड़ने वाले संभावित लाभों पर चर्चा -
  निर्यात संवर्द्धन सेल द्वारा MSME को होने वाले लाभ
  उत्पादों और सेवाओं के निर्यात हेतु MSMEs की तत्परता का मूल्यांकन।
  वैश्विक मूल्य शृंखला में MSMEs का एकीकरण।
  उन क्षेत्रों की पहचान जहाँ प्रभावी ढंग से और कुशलता से निर्यात करने के लिये सक्षम बनाने हेतु सुधार आवश्यक है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के महत्त्व, भूमिका और चुनौतियों पर चर्चा -
  रोज़गार, स्वरोज़गार और उद्यमिता के माध्यम से MSME क्षेत्र गरीबी, भुखमरी आर्थिक असमानता को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  समाज के विभिन्न वर्गों, जैसे- वंचित, पिछड़े एवं दिव्यांगजनों को रोज़गार के माध्यम से आत्मनिर्भर कर खुशहाल जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। इससे सामाजिक-आर्थिक सुदृढ़ता को बढ़ावा मिलता है।
  वैश्वीकरण, निजीकरण एवं सूचना संचार प्रौद्योगिकी की तीव्र गति से प्रगति के दौर में MSME क्षेत्र स्थानीय कला एवं संस्कृति, पर्यटन, योग, आयुर्वेद, स्वास्थ्य पर्यटन, हस्तशिल्प आदि को केवल बढ़ावा देता है। अपितु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

MSME संबंधित विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा -
अधिकांश अपंजीकृत MSMEs अति लघु उद्योगों को शामिल किये होते हैं और मुख्यत: ग्रामीण भारत तक ही सीमित होते हैं जिनका संचालन पुराने तकनीकी और संस्थागत वित्तीयन तक सीमित पहुँच के साथ होता है। इसलिये आवश्यकता है कि बड़े पैमाने पर अपंजीकृत MSMEs का रूपांतरण पंजीकृत MSMEs में किया जाए।
  पूरे MSMEs क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने की आवश्यकता है।
  नई तकनीकी तक पहुँच की कमी।
  IPR संबंधी मुद्दे।
  MSMEs को बाज़ार संचालक के रूप में परिवर्तित किये जाने की ज़रूरत है।
  संसाधनों एवं श्रमशक्ति का निष्प्रभावी उपयोग।
  ऊर्जा अदक्षता एवं संबंधित उच्च लागत
  निम्न ICT प्रयोग।
  निम्न बाज़ार प्रवेश।
  गुणवत्ता आश्वासन/प्रमाणीकरण की कमी।
  नए बाज़ारों में प्रवेश के लिये उत्पादों का मानकीकरण एवं उचित विपणन शृंखला का अभाव।
  MSMEs की परिभाषा को अद्यतन करने की आवश्यकता है जिसमें महँगाई एवं बेहतर तकनीकी की उपलब्धता पर विचार हो।
 
निष्कर्ष:
क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने तथा राष्ट्रीय आय और संपत्ति का समानता पर आधारित वितरण सुनिश्चित करने में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र अहम भूमिका अदा करता है। इन उद्यमों की एक अनोखी विशेषता यह है कि ये हमारी अर्थव्यवस्था के तमाम क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैले हुए हैं और स्थानीय तथा वैश्विक बाज़ारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ और सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है और इनका मुनाफा काफी अधिक होता है। इस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों के संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका होने के कारण सरकार इसके संवर्द्धन के लिये प्रयासरत है।

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