GS Paper-2 Social Justice (सामाजिक न्याय) Part-1 (Q.5)

GS PAPER-2 (सामाजिक न्याय) Q-5
 
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Q.5 - आधार, कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के प्रति प्रतिबद्ध है। हालाँकि अपनी कुछ व्यवस्थागत परिसीमाओं के चलते, यह एक उभरता हुआ सुरक्षा खतरा भी बन गया है। इसके निदान हेतु उपाय सुझाइये। (250 शब्द)
 
उत्तर :
आधार कार्ड एक अद्वितीय एवं डिजिटल पहचान है। इसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा भारत के नागरिको को प्रदान किया जाता है। यह 12 अंकों का पहचान पत्र होता है, जिसमें व्यक्तियों की जैविक एवं जनांकिकीय सूचनाएँ शामिल होती हैं।
आधार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के वादे को निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से देखा जा सकता है-
आधार के माध्यम से पात्र लाभार्थियों की पहुँच कल्याणकारी योजनाओं तक सुनिश्चित हुई है।
इसके माध्यम से विश्व की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना’ (DBT) ‘पहलको संभव बनाया गया।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली एवं मनरेगा जैसी योजनाओं में भ्रष्टाचार में कमी आई है। सरकार ने लगभग 2 वर्षों में 49,000 करोड़ रुपए की बचत की है, यह राशि लीकेज के कारण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती थी।
इससे लगभग 5 करोड़ जन धन खाते खोलने में मदद मिली जिससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिला।
आधार के महत्त्व को देखते हुए सरकार ने लगभग सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिये इसका इस्तेमाल करना प्रारंभ कर दिया है।

लेकिन निम्नलिखित प्रणालीगत समस्याओं के कारण आधार एक उभरते सुरक्षा खतरे के रूप में दिखाई देता है-
आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसियों द्वारा लापरवाही से कार्ड बनाने के मामले सामने आए हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा साबित हो सकता है। पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर में एक आंतकी के पास आधार कार्ड मिलना इसका उदाहरण है।
इतने बड़े पैमाने पर एकत्रित आँकड़ों की निगरानी करना तथा इनके दुरुपयोग को रोकना एक बड़ी चुनौती है। हाल ही में ट्रिब्यूनअखबार द्वारा एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आधार से जुड़ी जानकारी लीक करने का दावा किया गया।
आधार से बायोमेट्रिक जानकारी लीक होने से व्यक्ति की निजता के मौलिक अधिकार के समक्ष भी खतरा उत्पन्न होता है।

आधार से उत्पन्न सुरक्षा संबंधी चुनौतियों एवं शंकाओं के समाधान के लिये निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-
आधार कार्ड बनानें वाली एजेसियों की जवाबदेही तय करने के लिये प्रभावी कानून बनाया जाए।
डेटा संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया जाए जिसमें न्यायविद् एवं तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हों
ठोस गोपनीयता कानून का निर्माण तथा साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ किये जाने पर बल।
वस्तुत: सकारात्मक उद्देश्य के लिये शुरू किया गया आधारअपने क्रांतिकारी बदलावों के बावजूद कुछ अवसंरचनात्मक एवं प्रक्रियागत खामियों के चलते सुरक्षा संबंधी खतरा बन गया है। अत: इसकी प्रभावशीलता में वृद्धि के लिये आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिये।

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