GS Paper-1 Indian Culture (संस्कृति) Part-1 (Q.8)

GS PAPER-1 (संस्कृतिQ-8
 
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Q.8 - मौर्यकालीन मूर्तियाँ शानदार और पॉलिशयुक्त तो थीं परंतु इनकी कोई स्पष्ट मूर्ति निर्माण शैली नहीं थी, जैसा कि गांधार या मथुरा कला शैली में देखने को मिलता है; फिर भी मौर्यकालीन मूर्तियाँ विशिष्ट हैं। विश्लेषण करें।
 
उत्तर :
भूमिका:
बौद्ध धर्म का आविर्भाव भारत के कलात्मक उत्थान में सहायक सिद्ध हुआ है। प्राचीन काल की अधिकांश विधाओं में बौद्ध धर्म की प्रमुखता रही है।

विषय-वस्तु
मौर्यकालीन मूर्तिकला के अध्ययन हेतु साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोतों की भरपुर उपलब्धता है। साहित्यिक स्रोतों में आपस्तंभ गृहसूत्रतथा कौटिल्य का अर्थशास्त्रमहत्त्वपूर्ण है तथ पुरातात्विक स्रोतों में मौर्यकालीन मूर्तियों की बड़ी संख्या में प्रप्ति यह साबित करती है कि मौर्यकाल में मूर्तियाँ रही है।

मौर्यकालीन मूर्तिकला की विशेषताएँ
  चमकदार पॉलिश, मूर्तियों की सजीव भाव अभिव्यक्ति, एकाश्म पत्थर द्वारा निर्मित पाषाण स्तंभ एवं उनके कलात्मक शिखर पत्थरों पर पॉलिश करने की कला, इस काल में इस स्तर पर पहुँच गई थी कि आज भी अशोक की लाट की पॉलिश शीशे की भाँति चमकती है।
  अशोक के स्तंभों से तत्कालीन भारत के विदेशों से संबंधों का खुलासा होता है।
  मौर्यकालीन पत्थर और मिट्टी की तो मूर्तियाँ प्राप्त हुई लेकिन धातु की कोई मूर्ति प्राप्त नहीं हुई।
  मौर्यकाल में मूर्तियों का निर्माण चिपकवा विधि या साँचे में ढालकर किया जाता था।
  मौर्यकालीन मृणमूर्तियों के विषय हैं- पशु-पक्षी, खिलौना और मानव अर्थात् इन मूर्तियों का निर्माण गैर-धार्मिक उद्देश्य से किया गया था।
  प्रस्तर मूर्तियाँ अधिकांशत: शासकों द्वारा बनवाई गई हैं, फिर भी किसी देवता को प्रस्तर मूर्ति में नहीं ढाला गया।
  मौर्यकाल में प्रस्तर मूर्ति-निर्माण में चुनार के बलुआ पत्थर और पारखम (उत्तर प्रदेश) से प्राप्त यक्ष की मूर्ति में चित्तीदार लाल पत्थर का इस्तेमाल हुआ है।
  मौर्यकाल की मूर्तियाँ अनेक स्थानों, यथा- पाटलिपुत्र, वैशाली, तक्षशिला, मथुरा, कौशांबी, अहिच्छत्र, सारनाथ आदि से प्राप्त हुई है।
  कला, सौंदर्य एवं चमकदार, पॉलिश की दृष्टि से सम्राट अशोक के समय की मूर्तिकारी को सर्वोत्तम माना गया है।
  पारखम से प्राप्त 7 फीट ऊँची यक्ष की मूर्ति, दिगंबर प्रतिमा (लोहानीपुर, पटना), धौली (ओडिशा) का हाथी तथा दीदारगंज (पटना) से प्राप्त यक्षिणी मूर्ति मौर्य कला के विशिष्ट उदाहरण हैं।
  सारनाथ स्तंभ के शीर्ष पर बने चार सिंहों की आकृतियाँ तथा उसके नीचे की बल्लरी आकृति अशोककालीन मूर्तिकला का बेहतरीन नमूना है, जो आज हमारा राष्ट्रीय चिह्न है।
  कुछ विद्वानों का मानना है कि मौर्यकालीन मूर्तिकला पर ईरान एवं यूनान की कला का प्रभाव था।
 
निष्कर्ष:
        अंत में संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

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