Q.6 - गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा इंटरनेट एवं सोशल मीडिया का विध्वंसकारी गतिविधियों हेतु प्रयोग सुरक्षा के लिये एक वृहद् चिंता का विषय है। हाल ही में इनका दुष्प्रयोग किस प्रकार हुआ?
उपर्युक्त खतरे को नियंत्रित करने के लिये प्रभावकारी सुझाव बताएँ।
उत्तर
:
भूमिका:
इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के बारे में -
सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने इंटरनेट
एवं सोशल मीडिया के उपयोग को बढ़ावा दिया है। आज इंटरनेट एवं सोशल मीडिया
जानकारी प्राप्त करने एवं उसे साझा करने के महत्त्वपूर्ण मंच बन गए हैं।
विषय-वस्तु:
सोशल मीडिया के बारे में बताते हुए उसकी कमियों पर भी चर्चा-
सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है,
जहाँ व्यक्ति
किसी सामग्री (Content)
को साझा या पोस्ट कर सकता है। यह सामग्री ऑडियो,
वीडियो,
चित्र या शब्द किसी भी प्रकार की हो सकती है। इसी विशेषता का लाभ
गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा अपने हितों के लिये किया जा रहा है-
→ बैंकिंग संबंधी गोपनीय जानकारी चोरी कर
इनका दुरुपयोग किया जा रहा है। लोगों के बैंक खातों से अवैध रूप से पैसे
निकालने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
→ ई-मेल एवं खातों से निजी जानकारी को चोरी करने की घटनाएँ भी बढ़ती जा रही हैं।
→ ऑनलाइन धोखाधड़ी की समस्याएँ।
→ कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार-प्रसार।
→ किसी व्यक्ति विशेष की सार्वजनिक छवि को धूमिल करना।
→ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना।
→ सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुँचाना,
जैसे-सांप्रदायिकता,
दंगे,
जातिवाद का प्रचार-प्रसार आदि।
→ हिंसात्मक कार्यों में लिप्त गैर-राज्य
अभिकर्त्ताओं (आतंकवादी संगठन) द्वारा सोशल मीडिया तथा इंटरनेट का उपयोग
आतंकवादियों की भर्ती करने,
धन जुटाने,
भय पैलाने,
संदेशों का आदान-प्रदान
करने,
आतंकी गतिविधियों में समन्वय स्थापित करने तथा अपने विचारों के
प्रचार-प्रसार के लिये भी किया जाता है।
→ हाल ही में हुए आतंकी हमले,
जिन्हें लोन
वुल्म अटैक कहा जाता है,
प्रत्यक्ष रूप से इंटरनेट तथा सोशल मीडिया से
प्रभावित थे। इस्लामिक स्टेट की विचारधारा से प्रभावित एक व्यक्ति द्वारा
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका) में भीड़ पर हमला किया जाना लोन वुल्फ
अटैक का उदाहरण माना जाता है। हाल ही में न्यूायार्क एवं लंदन में भीड़ पर
वाहन चलाकर कई लोगों को मारने संबंधी घटनाएँ भी इसी से संबंधित हैं।
विषय-वस्तु:
भारत के संदर्भ में सोशल मीडिया और इंटरनेट के दुरुपयोग को बतलाते हुए उसे रोकने हेतु किये जाने वाले प्रयास -
भारत के संदर्भ में भी ऐसी ही चुनौतियाँ
विद्यमान हैं। हाल ही में कश्मीर में युवाओं को भटकाने में इंटरनेट एवं
सोशल मीडिया की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। कावेरी जल विवाद मामले में
प्रदर्शन,
जल्लीकट्टू में उग्र प्रदर्शन प्रत्यक्ष रूप से इंटरनेट एवं सोशल
मीडिया के दुष्परिणाम रहे हैं। ऐसी स्थितियाँ राष्ट्र की स्थिरता हेतु
खतरनाक होती हैं,
क्योंकि गैर-राज्य अभिकर्त्ता ऐसे ही अवसरों की तलाश में
रहते हैं। इन खतरों से बचने हेतु व्यापक कार्ययोजना की आवश्यकता है जिसके
लिये तीन स्तरों पर प्रयास किये जा सकते हैं-
1.
राज्य या सरकारी स्तर पर
साइबर सुरक्षा नीति,
2013 का प्रभावी रूप
से क्रियान्वयन सुनिश्चित कर नीतियों के क्रियान्वयन हेतु विशेष संस्थाओं
की स्थापना,
जैसे- साइबर थाना,
साइबर सेल,
हेल्पलाइन की सुविधा आदि।
जोखिमपूर्ण क्षेत्रों एवं मामलों में
विशेष संवेदनशीलता,
जैसे- सांप्रदायिकता,
जातिवाद या कट्टरपंथी विचारधाराओं
के प्रचार-प्रसार पर विशेष नज़र।
सोशल मीडिया पर निगरानी।
2.
सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान
ये सभी मिलकर जागरूकता संबंधी कार्यक्रम,
सेमिनार आदि का आयोेजन कर सकते हैं। पिछले वर्ष गूगल,
फेसबुक,
ट्विटर और
माइक्रोसॉफ्ट ने ग्लोबल इंटरनेट फोरम टू काउंटर टेररिज़्म (GIFCT)
के गठन की
घोषणा की थी।
3.
व्यक्तिगत स्तर पर भी ऐसे मामलों में
संवेदनशीलता दर्शाने की आवश्यकता है। यदि किसी व्यक्ति या संस्था की
विचारधारा संदेहास्पद लगे तो इसकी सूचना उचित प्राधिकारी को तुरंत देनी
चाहिये।
निष्कर्ष:
अंत में संक्षिप्त, सारगर्भित एवं संतुलित निष्कर्ष लिखें।