Q.18 - विश्व की दो बड़ी पर्वत शृंखलाओं के बारे में बताते हुए पर्वतों के वर्गीकरण को सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर :
भूमिका में:
जब विभिन्न युगों में अलग-अलग प्रकार से निर्मित लंबे और संकरे पर्वतों का विस्तार समानांतर रूप में पाया जाता है तो उसे पर्वत शृंखला कहा जाता है। इन्हें पर्वतमाला के नाम से भी जाना जाता है। विश्व की दो बड़ी पर्वत शृंखलाओं के अंतर्गत, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका प्लेटों के पश्चिमी किनारों के पर्वत श्रेणी अर्थात् कोर्डिलेरा तंत्र और एशिया तथा उत्तरी भारत के पर्वत जो यूरोपियन हिमालय तंत्र की रचना करते हैं, आते हैं।
विषय-वस्तु:
दोनों तंत्रों का थोड़ा विस्तार -
→ विश्व में पाई जाने वाली दो बड़ी पर्वत शृंखलाओं के तहत एक है कार्डिलेरा तंत्र जो उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका प्लेटों के सहारे नवीन पर्वतों की शृंखला है। ये दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी सिरे पर स्थित टियराडेल फ्यूगो से आरंभ होकर अलास्का की ऊँची चोटियों तक पैले हुए हैं।
→ दक्षिण एशिया और उत्तरी भारत के पर्वत एक मेखला में ऊपरी मध्य पूर्व से होते हुए यूरोप तथा यूरोपियन आल्पस तक यूरेशियन हिमालय तंत्र की रचना करते हैं। इनमें पिरेनीथ, एपीनाइन, बालकन, टारस, काकेशस, एलबुर्ज, त्यानशान, अल्टाई, हिन्दुकुश, कुनलुन, नानशान, हिमालय, अराकान योमा, पीगूयोमा तथा तनासरीम योमा शामिल हैं।
पर्वतों का वर्गीकरण -
सभी पर्वतों का निर्माण समान रूप से नहीं होता क्योंकि पर्वतों के निर्माण तथा विकास में संपीडन शक्ति, खिंचाव बल, ज्वालामुखी उद्गार, अपरदन आदि का सहयोग होता है। पर्वत के निर्माण में एक से अधिक कारकों का योगदान संभव है परंतु कोई एक कारक सर्वाधिक प्रबल होता है। इनका वर्गीकरण इसी पर आधारित होता है-
1. वलित पर्वत-
→ जब चट्टानों में पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के कारण मोड़ या वलन पड़ता है तो उसे वलित या मोड़दार पर्वत कहते हैं।
→ ये विश्व के सबसे युवा, ऊँचे तथा सर्वाधिक विस्तृत पर्वत हैं।
→ ये महाद्वीपीय किनारों पर या फिर उत्तर से दक्षिण या पश्चिम से पूर्व दिशा में पाए जाते हैं।
→ हिमालय, अल्पाइन पर्वत समूह, रॉकी, एंडीज, अपलेशियन, एटलस काकेशस, एलबुर्ज, हिन्दुकुश आदि वलित पर्वतों के प्रमुख उदाहरण हैं।
2. ब्लाक पर्वत-
→ ब्लाक या अवरोधी पर्वतों का निर्माण तनाव या खिंचाव की शक्तियों द्वारा होता है।
→ खिंचाव के कारण धरातलीय भागों में दारारें या भ्रंश पड़ जाते हैं, जिससे धरातल का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है और कुछ भाग नीचे धँस जाता है। इस प्रकार दरारों के समीप ऊँचे उठे भाग को ब्लाक पर्वत कहते हैं।
→ दरार या भ्रंश के कारण अवरोधी पर्वतों का निर्माण होने से इन्हें भ्रंशोत्थ पर्वत भी कहा जाता है।
→ ब्लाक पर्वत का आकार मेज़ के समान होता है।
→ यूरोप महाद्वीप में वासजेस तथा ब्लैक फारेस्ट, पाकिस्तान की ‘साल्टरेंज’ एवं कैलिफिोर्निया की सियरा नेवादा ब्लाक पर्वत के प्रमुख उदाहरण हैं।
3. गुंबदाकार पर्वत
→ जब पृथ्वी के धरातलीय भाग में चाप के आकार में उभार होने से धरातलीय भाग ऊपर उठ जाता है तो उसे ‘गुंबदाकार’ पर्वत कहा जाता है।
→ दक्षिण डकोटा की ‘ब्लैक पहाड़ियाँ’ और न्यूयार्क का एडिरॉन्डाक पर्वत गुंबदाकार पर्वत के उदाहरण है।
4. अवशिष्ट पर्वत-
→ अपरदन शक्तियों द्वारा पर्वतों के अत्यधिक अपरदन के कारण ये कटकर नीचे हो जाते हैं, इसलिये इन्हें घर्षित या अवशिष्ट पर्वत कहते हैं।
→ वर्तमान समय के वलित पर्वत भी आगे चलकर नदी, हिमनद, वायु तुषार द्वारा कटकर तथा घिसकर निम्न पर्वत का रूप धारण कर लेते हैं।
→ भारत के विंध्याचल, अरावली, सतपुड़ा, महादेव, पारसनाथ आदि अवशिष्ट पर्वत के ही उदाहरण हैं।
5. ज्वालामुखीय पर्वत
→ ज्वालामुखी के उद्गार से निस्तृत लावा, राखचूर्ण के संग्रह से ज्वालामुखी पर्वत का निर्माण होता है।
→ ज्वालामुखी पर्वतों का ढाल मुख्य रूप से लावा के स्वभाव तथा विखंडित पदार्थों की मात्रा पर आधारित होता है।
→ किलमंजारों (अफ्रीका), कोटापेक्सी (एंडीज), माउंट रेनियर, हुड और शास्ता (संयुक्त राज्य अमेरिका), फ्यूजीयामा (जापान), विसूवियस (इटली), एकनागुआ (चिली) ज्वालामुखीय पर्वतों के उदाहरण हैं।
निष्कर्ष
अंत में संक्षिप्त, सारगर्भित एवं संतुलित निष्कर्ष लिखें।