GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज) Part-1 (Q-9)

GS PAPER-1 (भारतीय समाज) Q-9
 
GS Paper-1 Indian Society (भारतीय समाज)

Q.9 - स्वच्छताको स्वतंत्रता के लिये ज़रूरी कदम मानते हुए गांधी जी ने इसे 18 रचनात्मक कार्यक्रमों की सूची में शामिल किया था। इसकी प्रासंगिकता को वर्तमान के लिये भी ज़रूरी समझते हुए सरकार ने स्वच्छता को न्यू इंडिया (नए भारत) की परिकल्पना का अभिन्न अंग माना है। टिप्पणी कीजिये।
 
उत्तर :
भूमिका में:
स्वच्छता के संबंध में गांधी जी के दृष्टिकोण -
गांधी जी के लिये स्वच्छता सिर्फ जैविक आवश्यकता नहीं बल्कि जीवनशैली और सत्य की अनुभूति करने का एक अहम भाग है। राष्ट्रपिता के रूप में उन्होंने राष्ट्र निर्माण में स्वच्छता की अनिवार्यता को महसूस किया और स्वच्छता की तुलना ईश्वर भक्ति से की। महात्मा गांधी के लिये स्वच्छता स्वराज्य यज्ञ के बराबर थी इसलिये उन्होंने स्वच्छता जैसे रचनात्मक कार्यक्रम और स्वतंत्रता संग्राम के बीच अटूट संबंध बनाया।

विषय-वस्तु में:
अपर्याप्त स्वच्छता का देश के आर्थिक विकास पर प्रभाव एवं विश्व बैंक की रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए स्वच्छ भारत अभियान के बारे में बताएंगे। साथ में इसे महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से भी जोड़ेंगे-
भारत में आर्थिक विकास में लगातार बढ़ोत्तरी के बावजूद सफाई और स्वास्थ्य की हालत अच्छी नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। स्वच्छता की बेहतर स्थिति होने के कारण खराब सेहत, शिक्षा में नुकसान और सकल उत्पादकता पर प्रतिकूल असर देखने को मिलता है। विश्व बैंक ने भी इस संबंध में अपनी रिपोर्ट जारी की है। इन सभी को देखते हुए स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया जिसका लक्ष्य महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर राष्ट्रीयता को श्रद्धांजलि के रूप में 2019 तक भारत को स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त बनाना है।

प्रधानमंत्री की न्यू इंडियाकी परिकल्पना के बारे में -
  1942 में देश के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा अंग्रेज़ों भारत छोड़ोकी प्रतिज्ञा लेने के बाद 1947 में भारत को आज़ादी मिली। इसी तर्ज़ पर भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगाँठ पर प्रधानमंत्री ने 2022 तक नए भारतके निर्माण हेतु सभी से एक साथ प्रतिज्ञा लेने की अपील की। इसे संकल्प से सिद्धिनाम दिया गया है। इसमें स्वच्छ भारत, गरीबी मुक्त भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत, आतंकवाद मुक्त भारत, सांप्रदायिकता मुक्त भारत, जातीयता मुक्त भारत के लिये संकल्प लेने की बात शामिल है और इसकी अवधि 2017-2022 तय की गई है। न्यू इंडिया मूवमेंट 2017-2022 का उद्देश्य सुशासन और तकनीकी के इस्तेमाल से भारत को गरीबी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सांप्रदायिकता, जातीयता और गंदगी से मुक्त करते हुए पूरे देश को एकजुट करना है।
  इसके लिये देश में स्वच्छता का आधारभूत ढाँचा खड़ा किया गया है जिसके तहत शौचालय बनाए गए हैं और कूड़े-करकट के प्रबंधन की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में साफ-सफाई की आदतों को अपनाने के लिये लगातार जागस्रूकता अभियान चलाए गए हैं। इसी के तहत 2015 में नमामि गंगे कार्यक्रम शुरू किया गया ताकि गंगा से प्रदूषण को हटा कर उसे निर्मल बनाया जा सके। परिवहन को किफायती एवं पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल बनाने के लिये जलमार्गों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही पर्यावरण अनुकूल हरित बंदरगाहोंके निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। गाँवों के विकास में भी स्वच्छता एक प्रमुख घटक है। स्वच्छ भारत से मानव जीवन अधिक स्वच्छ, स्वस्थ और उन्नत बनेगा। कोई भी समुदाय और समाज तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक कि वह स्वच्छ हो। शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, मानव विकास से संबंधित लक्ष्य स्वच्छता के अभाव में प्राप्त नहीं किये जा सकते। इस प्रकार राष्ट्र के आर्थिक विकास में भी स्वच्छता का विशेष योगदान है। इसे ध्यान में रखते हुए स्वच्छता को नए भारत के निर्माण के लिये आवश्यक माना गया।

निष्कर्ष:-
भारत में स्वच्छता और आरोग्य के महात्मा गांधी के सपने को साकार करना सरकार के लिये बड़ी प्रतिबद्धता है। इसे देखते हुए हमारे प्रधानमंत्री ने स्वच्छता को नए भारतकी परिकल्पना का अभिन्न अंग बनाया और इसे राष्ट्रीय प्राथमिकता दी। भारत के नागरिक के रूप में यह हमारा सामाजिक दायित्व है कि हम स्वच्छ भारत की गांधी जी की परिकल्पना को वर्ष 2019 में उनकी 150वीं जयंती तक साकार करने में सहयोग दें तभी नए भारत का सपना सच हो सकेगा।


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