GS Paper-2 Indian Polity (राजव्यवस्था) Part-1 (Q.7)

GS PAPER-2 (भारतीय राजनीति) Q-7
 
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Q.7 - भारत के मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) में प्रवेश के क्या निहितार्य है? क्या इससे एनएसजी की सदस्यता के लिये रास्ता आसान होगा? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये।
 
उत्तर :
भूमिका:
2016 में भारत, चीन और पाकिस्तान को मिसाइल शक्ति में पीछे छोड़ते हुए मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (MTCR) का 35वाँ सदस्य बना था। एनएसजी की सदस्यता पाने में भारत को मिली असफलता के उपरांत किसी बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में यह सफलता प्राप्त हुई है।

विषय-वस्तु
भारत द्वारा बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ हेग कोड ऑफ कंडक्टको अपनाने के बाद यह सफलता प्राप्त हुई। इस आचार संहिता को मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था का पूरक माना जाता है। अमेरिका ने MTCR के अतिरिक्त तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं, आस्ट्रेलिया समूह, परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह और वासेनार अरेंजमेंट में भी भारत की सदस्यता का समर्थन किया है।
एमटीसीआर एक अनौपचारिक संगठन है जिसकी स्थापना कनाडा, प्राँस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा आणिवक अथियार से युक्त प्रक्षेपास्त्रों के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से की गई थी। इस संगठन ने चीन तथा पाकिस्तान को सदस्यता नहीं दी गई है। एमटीसीआर का मुख्य उद्देश्य प्रक्षेपास्त्र और अन्य मानवरहित प्रक्षेपण प्रणालियों के प्रसार को सीमित करना है, जिसका इस्तेमाल रासायनिक, जैविक अथवा नाभिकीय हमलों के लिये किया जा सकता है। MTCR के प्रत्येक सदस्य देश को उन सभी प्रक्षेपास्त्रों, उनके अंतर्निहित घटकों और तकनीकी के लिये एक राष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण नीति स्थापित करनी होती है।
इसके प्रावधानों के तहत गैर-सदस्य देशों को 500 किग्रा. विस्फोटकों के साथ 300 किमी. या उससे अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम खतरनाक मिसाइलों, अन्य हथियारों या उपकरणों का निर्यात नहीं किया जा सकता। इसमें अनमैंड एयर व्हीकल (UAV) जिसे आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाना जाता है, भी शामिल है। इसके सदस्य देशों को बैलिस्टिक मिसाइल से संबंधित निर्यात नीति लागू करनी होती है। इस समूह के सदस्यों के बीच मिसाइल तकनीक को खरीदने और बेचने के लिये छूट प्राप्त है।

MTCR में शामिल होने से भारत को लाभ
इस संगठन में शामिल होने के उपरांत भारत अब हाईटेक मिसाइलों का दूसरे देशों से बिना किसी बाधा के आयात कर सकता है। इसके साथ ही भारत अब अमेरिका से ड्रोन की खरीद भी कर सकता है।
भारत रूस के साथ मिलकर सुपरसोनिक व्रूज मिसाइल ब्रह्मोसका निर्माण करता है एवं अब वह इसे किसी और देश को भी बेच सकेगा।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस समूह में शामिल होने से भारत अब पहली बार हथियार निर्यातक देश बन सकेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत को MTCR की सदस्यता प्राप्त हो जाने से भारत की एनएसजी की सदस्यता के लिये रास्ता आसान हो गया है क्योंकि MTCR के सदस्य देश ही एन.एस.जी. के कोर ग्रुप के सदस्य है।

निष्कर्ष:
निश्चित तौर पर भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी के साथ-साथ देश को MTCR सदस्यता मिलने से एक नई ताकत मिली है। इस सदस्यता से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि में सुधार होगा। साथ ही भारत को हथियारों के निर्यात से आर्थिक लाभ भी होगा तथा पड़ोसी देशों के व्यवहार पर इसका प्रभाव दिखाई देने लगेगा।

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