उत्तर :
भारत में पर्वत, पठार, मैदान, मरुस्थल, तटीय मैदान द्वीप समूह के रूप में अनेक धरातलीय विषमताएँ पाई जाती हैं। इन्हीं विषमताओं के आधार पर भारत को निम्नलिखित भू–आकृतिक खंडों में विभाजित किया गया है :
→ उत्तर तथा पूर्वी पर्वतमाला
यह पर्वत श्रृंखला उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में नामचा बरवा तक विस्तृत है। इसे चार भागों- ट्रांस हिमालय, वृहत हिमालय, लघु या मध्य हिमालय और शिवालिक में बाँटा गया है।
→ उत्तरी भारत का मैदान
यह मैदान सिंधु एवं गंगा-ब्रह्मपुत्र नदियों के जलोढ़ अवसादों से निर्मित है। इसका विस्तार 3000 किलोमीटर से भी अधिक है और लगभग 150 से 300 किलोमीटर तक फैला है। इस मैदान को भी धरातलीय विशेषताओं के आधार पर चार भागों में विभाजित किया गया है।
→ भाबर
→ तराई
→ बांगर
→ खादर
→ प्रायद्वीपीय पठार
प्राचीन गोंडवाना भूमि का यह हिस्सा त्रिभुजाकार आकृति में फैला है। उत्तर एवं दक्षिण में फैला यह क्षेत्र कई हिस्सों में विभाजित है। बघेलखंड, बुंदेलखंड, रायलसीमा, राजमहल, अरावली आदि इसी प्रायद्वीपीय क्षेत्र के हिस्से हैं।
→ भारतीय मरुस्थल
इसका विस्तार भारत के पश्चिमोत्तर में राजस्थान एवं गुजरात में है। यह एक शुष्क क्षेत्र है जो भारत और पाकिस्तान की प्राकृतिक सीमा बनाता है।
→ तटीय मैदान
ये मैदान भारत के पूर्वी एवं पश्चिमी तट के सामानांतर विस्तृत हैं। पूर्वी तटीय मैदान के संपूर्ण क्षेत्र को उत्कल तट, उत्तरी सरकार और कोरोमंडल में वर्गीकृत किया जाता है। पश्चिमी तटीय मैदान गुजरात से लेकर कन्याकुमारी तक कोंकण, कन्नड़ और मालाबार तट के नाम से विस्तृत है।
→ द्वीप समूह
भारत का पूर्वी समुद्री भाग बंगाल की खाड़ी में अंडमान निकोबार द्वीप समूह है। अरब सागर में उपस्थित लक्षद्वीप समूह मूंगा से निर्मित द्वीप है।