GS Paper-2 International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Part- 1 (Q-24)

GS PAPER-2 (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Q-24
 
International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)


Q.24 - वर्तमान समय में एक तरफ गहरे होते भारत-अमेरिका के रिश्ते एवं दूसरी तरफ पाकिस्तान-चीन-रूस की बढ़ती दोस्ती दक्षिण एशिया के राजनीतिक संतुलन का समीकरण बदल सकती है। कथन की समीक्षा करें।
उत्तर :
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की तथा विश्व शीतयुद्धमें उलझ गया। नव स्वतंत्र देशों की अगुवाई करते हुए भारत ने शीतयुद्ध में मुख्य प्रतिद्वंद्वी अमेरिका तथा सोवियत संघ के गुटों से स्वयं को अलग रखा तथा गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई। इसी क्रम में पाकिस्तान अमेरिका के गुट में शामिल हुआ। हालाँकि 1962 में भारत-चीन युद्ध के पश्चात् भारत का झुकाव सोवियत संघ की तरफ हो गया। 1990 में सोवियत संघ के विघटन के साथ शीतयुद्ध की समाप्ति हुई तथा विश्व अमेरिका के नेतृत्व में एक ध्रुवीय होकर उदारीकरण एवं वैश्वीकरण की ओर तेज़ी से बढ़ा।
90 के दशक में भारत में भी वैश्वीकरण एवं उदारीकरण को अपनाने के साथ-साथ पहलकारी एवं सक्रिय विदेश नीति का परिचय देते हुए सभी देशों से सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने पर बल दिया, लेकिन इस क्रम में भी रूसभारत का सबसे बड़ा रणनीतिक साझेदार एवं मित्र बना रहा। परंतु भारत-अमेरिका परमाणु समझौता एवं एशिया की उभरती महाशक्ति चीनके उदय ने एशिया में शक्तियों के समीकरण में बड़ा बदलाव ला दिया।
भारत अमेरिका के मध्य हाल ही में संपन्न लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंगतथा चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर, अमेरिका में बढ़ता पाकिस्तान विरोध, भारत में उड़ी हमले के बावजूद रूस-पाकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास, रूस द्वारा दक्षिण चीन सागर में चीन का समर्थन करना आदि उदाहरण एक तरफ भारत-रूस संबंधों में दूरी तथा भारत-अमेरिका संबंधों में निकटता प्रदर्शित करते हैं तो दूसरी ओर चीन-पाकिस्तान तथा रूस की बढ़तीदोस्तीको स्पष्ट करते हैं।
पिछले कुछ वर्षों की घटनाओं के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि एशिया की भू-राजनैतिक अवस्था महाशक्तियों के वर्चस्व प्रदर्शन का नया अखाड़ा बन रही है। वर्चस्व की यह लड़ाई अमेरिका बनाम चीन की अधिक है जिसमें भारत और पाकिस्तान का प्रयोग किया जा रहा है। रूस पुनः महाशक्ति का दर्जा पाने हेतु इस संघर्ष में है। ये स्थितियाँ निःसंदेह एशिया के शक्ति संतुलन को बिगाड़ कर नया तनाव उत्पन्न कर रही है।
अमेरिका की एशिया धुरीनीति तथा चीन की स्ट्रिंग ऑफ पर्लनीति विभिन्न एशियाई देशों को अपने गुट में शामिल करने की नीति है, जो पुनः चीन बनाम अमेरिका के वर्चस्व का शीतयुद्ध प्रतीत होता है। यदि ऐसा हुआ तो इसका केन्द्र एशिया होगा और शक्ति संतुलन की दिशा पहले से पूर्णतः भिन्न होगी।

Tags