भूमिका में:-
मालदीव की अवस्थिति को संदर्भित करते हुए भारत-मालदीव संबंधों की संक्षिप्त चर्चा के साथ मालदीव में हालिया चुनावों के विषय में लिखें।
विषय वस्तु में:-
मालदीव में सत्ता परिवर्तन का भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों के लिये महत्त्व, साथ ही इसमें आने वाली चुनौतियों पर चर्चा -
→ चीन की मालदीव के आर्थिक क्षेत्र में मौजूदगी एक वास्तविकता है जो न केवल मौजूदा बल्कि आने वाली सभी सरकारों के लिये एक चुनौती है।
→ मालदीव के बाह्य मदद का 70 फीसदी हिस्सा अकेले चीन द्वारा वहन किया जा रहा है, जो वहाँ अपना सैन्य ठिकाना बनाने की फिराक में है।
→ चीन के मालदीव से गहरे सामरिक हित जुड़े हैं और अपने विस्तारवादी मंसूबों के लिये वह मालदीव का इस्तेमाल कर रहा है। मालदीव के सात द्वीपों पर चीन गहरी पैठ भी बना चुका है।
→ मालदीव जिन तमाम चुनौतियों से जूझ रहा है वे अभी भी जस की तस कायम हैं। यामीन को सत्ता से बेदखल करने के मामले में विपक्ष ने एकजुटता ज़रूर दिखाई, लेकिन इस एकता की कड़ी परीक्षा सरकार चलाते समय होगी।
→ मालदीव में लोकतांत्रिक व्यवस्था तथा न्यायपालिका का अपमान हुआ है। यदि शासन सुचारु रूप से नहीं चलता है तो फिर संदिग्ध और चरमपंथी विचारधाराएँ सिर उठाने लगेंगी। दूसरी तरफ, चीन की चिंता भी चुटकी में दूर होने वाली नहीं है।
भारत के लिये मालदीव के महत्त्व पर चर्चा -
→ मालदीव भारत के दक्षिण-पश्चिम में 400 किलोमीटर (250 मील) की दूरी पर है और चीन तथा मध्य पूर्व के बीच दुनिया की सबसे व्यस्त शिपिंग लेन के समीप स्थित है। मालदीव की यह स्थिति समुद्री मार्गों की सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है।
→ चीन की ‘मोतियों की माला’ नीति को प्रतिसंतुलित करने के लिये भी भारत को मालदीव की आवश्यकता है।
→ इसके अतिरिक्त, भारत द्वारा मालदीव सहित इस क्षेत्र में विशुद्ध सुरक्षा प्रदाता की भूमिका का निर्वाह किया जाना भी सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
→ मालदीव से होकर गुज़रने वाले समुद्री रास्ते से भारत का सारा तेल आता है, इसलिये वहाँ भारत विरोधी माहौल हमारे लिये खतरनाक है।
→ चीन 10 साल पहले ही हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना के जहाजों को भेजना शुरू कर चुका था। अदन की खाड़ी में एंटी पायरेसी अभियानों के नाम पर मालदीव अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति में काफी अहम बन गया है।
→ दक्षिण एशिया की मज़बूत ताकत और हिंद महासागर क्षेत्र में नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर होने के नाते भारत को मालदीव के साथ सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में मज़बूत संबंध बनाए रखने की ज़रूरत है।
→ मालदीव सार्क (SAARC) का भी सदस्य है। ऐसे में इस इलाके में भारत को प्रभुत्व बनाए रखने के लिये मालदीव को अपने साथ रखना ज़रूरी है।
→ मालदीव के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं। मालदीव के साथ नई दिल्ली का धार्मिक, भाषायी, सांस्कृतिक और व्यावसायिक संबंध है।
→ 1965 में आज़ादी के बाद मालदीव को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में भारत शामिल था। बाद में भारत ने 1972 में मालदीव में अपना दूतावास भी खोला।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।