GS Paper-2 International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Part- 1 (Q-40)

GS PAPER-2 (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Q-40
 
International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)


Q.40 - एस.सी.. और अश्गाबात समझौते में भारत की सदस्यता इस सच्चाई की अभिव्यक्ति है कि भारत के हित जितने हिंद महासागर से जुड़े हैं उतने ही यूरेशियाई भू-भाग से भी। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
प्राचीन काल से ही भारत के हित हिंद महासागर और मध्य एशिया यूरेशिया से जुड़े रहे हैं। हिंद महासागर पर शुरुआत से ही भारत का एकछत्र प्रभाव रहा है, फिर चाहे चोल काल हो या फिर मुगल, अंग्रेज़ी शासन या वर्तमान भारत। वर्तमान में हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के बावजूद भारत अपना प्रभुत्व बनाए हुए है। यद्यपि भारत का मध्य एशिया पर अच्छा खासा आर्थिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव रहा है फिर भी इन देशों के साथ भारत मज़बूत आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबंध स्थापित नहीं कर पाया है। ऐसे में संघाई सहयोग संगठन में भारत को सदस्यता मिलना तथा अश्गाबात समझौता यूरेशिया के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने में मील का पत्थर साबित होगा।
       एस.सी.. यूरेशियाई देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है। हाल ही में भारत और पाकिस्तान को इसकी सदस्यता प्राप्त हुई है। एस.सी.. में भारत की सदस्यता कई मोर्चो पर अहम है:-
  इसके ज़रिये भारत गैस-तेल भंडार में धनी मध्य एशियाई देशों के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा कर सकता है।
भारत कनेक्ट सेंट्रल एशियानीति के लक्ष्यों को पूरा कर सकता है।
उज़्बेकिस्तान और कज़ाकिस्तान के साथ संपर्क स्थापित कर भारत अपने बुनियादी ढाँचा परियोजना को चाबहार प्रोजेक्ट के माध्यम से यूरशिया तक पहुँचा सकता है।
एस.सी.. द्वारा सदस्य देशों के बीच साइबर सुरक्षा के खतरों, नशीले पदार्थों की तस्करी, सार्वजनिक सूचनाओं की गतिविधि पर महत्त्वपूर्ण खुफिया जानकारी साझा करने के कारण आतंकवाद से लड़ने में सहयोग मिलेगा।
भारत इसके ज़रिये पाकिस्तान को आतंकवाद पैलाने के लिये ज़िम्मेदार ठहरा सकता है।
इस मंच के माध्यम से भारत-पाकिस्तान संबंध बहाल करने में मदद मिलेगी।
सुरक्षा परिषद एनएसजी में सदस्यता के लिये चीन का समर्थन हासिल करने में उपयोगी होगा।
एस.सी.. की तरह अश्गाबात समझौता भी भारत का यूरेशिया क्षेत्र के साथ संपर्क स्थापित करने में उपयोगी होगा। यह समझौता भारत, ईरान, ओमान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच मध्य एशिया एवं फारस की खाड़ी के मध्य वस्तुओं की आवाजाही को सुगम बनाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन एवं पारगमन गलियारा है। अब भारत इस गलियारे का उपयोग कर यूरेशियाई क्षेत्र के साथ व्यापार एवं व्यावसायिक मेल-जोल को बढ़ा सकेगा। यह समझौता भारत को ईरान से होते हुए मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ने वाली भारत, रूस और ईरान की संयुक्त परियोजना अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे’ (आईएनएसटीसी) को समन्वित करेगा।
भारत-यूरेशिया संपर्क को दीर्घकालिक स्थिरता तभी मिल सकती है, जब भारत हिंद महासागर क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बनाए रखेगा। वर्तमान में यह क्षेत्र ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है और एक प्रमुख व्यापार मार्ग है। यह सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र भी है। इसी मार्ग से यूरोप ने भारत पर विजय पाई और 2008 का मुंबई हमला भी यहीं से हुआ। हिंद महासागर में भारत के हित केवल रक्षात्मक नहीं हैं। यह वह क्षेत्र है जहाँ भारत अपनी सामरिक शक्ति का विस्तार कर सकता है और एक महान शक्ति बन सकता है।
एस.सी.. और अश्गाबात समझौते की भारत की सदस्यता यूरेशिया में भारत की महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने में सहायक होगी और एक सौहार्द्रपूर्ण आर्थिक संपर्क स्थापित करने में मदद करेगी। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि यूरेशिया हिंद महासागर की ही तरह भारत के लिये आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। यूरेशियाई सरज़मी से भारत के हित अतीत की महत्त्वाकांक्षा और मौजूदा आवश्यकता से जुड़े हैं, किंतु हिंद महासागार में भारत का हित देश की संप्रभुता से जुड़ा है। अत: भारत को हिंद महासागर में अपनी स्थिति को लगातार मज़बूत करते रहना होगा और इस क्षेत्र को यथासंभव अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के दखल से बचाना होगा।

Tags