GS Paper-2 Social Justice (सामाजिक न्याय) Part-1 (Q.20)

GS PAPER-2 (सामाजिक न्याय) Q-20
 
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Q.20 - महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के प्रस्तावित सुझावों के अनुसार तैयार की गई बाल सुरक्षा नीति के मसौदे की विशेषताओं एवं कमियों पर चर्चा करें।
उत्तर :
भूमिका:
बाल सुरक्षा नीति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रस्तावित सुझावों के बारे में -
       देश में बच्चों से संबंधित अपराध के आँकड़ों में वृद्धि के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को बाल सुरक्षा नीति तैयार करने के लिये कहा।
विषय-वस्तु
बाल सुरक्षा नीति बनाने संबंधी आवश्यकता एवं उस मसौदे की विशेषताओं पर चर्चा -
       हाल ही में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल सुरक्षा नीति का मसौदा तैयार किया गया जो बच्चों की सुरक्षा के संबंध में पहली नीति होगी।
मसौदा नीति की मुख्य बातें:
  सभी बच्चे हिंसा, शोषण, उपेक्षा, वंचितता और अन्य सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त बचपन तथा सम्मानित जीवन जीने के अधिकारी हैं।
  यह नीति सभी संस्थाओं और संगठनों (कॉर्पोरेट और मीडिया घरानों सहित), सरकारी या निजी क्षेत्र को व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से बच्चों की सुरक्षा/बचाव के संबंध में उनकी ज़िम्मेदारियों को समझने के लिये एक ढाँचा प्रदान करती है।
  इसका उद्देश्य बच्चों के शोषण और उपेक्षा की रोकथाम तथा प्रतिक्रिया के माध्यम से सभी बच्चों के लिये एक सुरक्षित एवं अनुकूल माहौल प्रदान करना है।
  नीति के अनुसार सभी संस्थानों को ऐसी आचार संहिता तैयार करनी होगी जो बच्चों के शोषण के संबंध में शून्य सहिष्णुता अपनाए।
  संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी कर्मचारी ऐसी कोई भी भाषा का प्रयोग या व्यवहार करें जो अनुचित, उत्पीड़नकारी, अपमानजनक, यौन रूप से उकसाने वाला और सांस्कृतिक रूप से अनुचित हो।
  कोई भी व्यक्ति जिसके शारीरिक, यौन और भावनात्मक रूप से पीड़ित होने की आशंका हो, वह इस बात की रिपोर्ट 1098 हेल्पलाईन नंबर या पुलिस या किसी चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को कर सकता है।
  वर्तमान मसौदा नीति भारत के संविधान, विभिन्न बाल-केंद्रित कानूनों, अंतर्राष्ट्रीय संधि के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा और कल्याण हेतु अन्य मौजूदा नीतियों के तहत प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों पर आधारित है।
इस मसौदे की कमियों पर चर्चा -
1. राष्ट्रीय बाल नीति 2013 से विपरीत, इस नवीन मसौदो में अतिरिक्त विशेष सुरक्षा उपायों की ज़रूरत वाले बच्चों के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
2. इसमें उन प्रावधानों का भी अभाव है जो प्रवासन, सांप्रदायिक हिंसा या भीख मांगने को मजबूर किये गए बच्चों या कानूनी विवादों में फँसे बच्चों या एचआईवी/एडस से संक्रमित हैं बच्चों की सुरक्षा को संबोधित करते हैं।
3. हालाँकि यह संस्थानों को एक कोड ऑफ कंडक्ट तैयार करने को निर्देश देता है परंतु स्कूलों में शिक्षकों के व्यवहार के संबंध में आचार संहिता क्या होगी, इसका वर्णन नहीं करता।
निष्कर्ष:
       एक नीति जागरूकता, रोकथाम, रिपोर्टिंग एवं प्रतिक्रिया देने संबंधी चार पहलुओं पर आधारित होनी चाहिये। इस मसौदे को भी इन पहलुओं पर केंद्रित होना चाहिये।
इस मसौदे में खासकर एक ऐसी रिपोर्टिंग संरचना होनी चाहिये जिसमें दिशा-निर्देशों के क्रियान्वयन के लिये कई नोडल निकाय और निगरानी तंत्र हों।
       सरकार को संस्थानों की भूमिका से बाहर निकालकर व्यक्तिगत भूमिका पर ध्यान देना चाहिये।

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