→ भारत-रूस संबंधों की शुरुआत भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही हो गई थी तथा रूस ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में वीटो पावर का प्रयोग कर इस संबंध की गहरी और मजबूत नींव डाली थी। परंपरागत रूप से भारत-रूस संबंधों के पाँच महत्त्वपूर्ण घटक रहे हैं- राजनीति, प्रतिरक्षा, असैनिक परमाणु ऊर्जा, आतंक विरोधी सहयोग तथा अंतरिक्ष, परंतु वर्तमान परिदृश्य में छठा घटक आर्थिक सहयोग के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत-रूस संबंध समय के साथ परिरक्षित है तथा सोवियत संघ के विघटन के बावजूद संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। परंतु वर्तमान बहुध्रुवीय वैश्विक परिदृश्य में दोनों देश आर्थिक तथा सामरिक सहयोग हेतु नए मित्र तलाश रहे हैं।
→ 1955 ई. में सोवियत संघ के राष्ट्रपति खुश्चेव ने विवादित भू-भागों यथा कश्मीर तथा पुर्तगाल अधिकृत क्षेत्रों पर भारत के पक्ष का समर्थन किया।
→ भारत-रूस संबंधों में गिरावट तब आई थी जब रूस ने भारत-चीन युद्ध के दौरान तटस्थ रुख अपना लिया था। परंतु 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय रूस ने भारत का समर्थन किया तथा संधि करवाने में अहम भूमिका निभाई।
→ 1971 की भारत-रूस संधि ने भारत को पूर्वी पाकिस्तान के विवाद के समय कार्रवाई करने का विश्वास प्रदान किया तथा भारत ने बांग्लादेश के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
→ दोनों राष्ट्रों के मध्य सैन्य सहयोग के क्षेत्र में समय के साथ असाधारण घनिष्ठता आई है। रूस ने भारत को युद्धक विमान से लेकर टैंक तक संपूर्ण सैन्य उत्पाद प्रदान किये हैं।
→ नब्बे के दशक के शुरुआती वर्षों में भारत-रूस संबंधों में गिरावट आई थी चूंकि इस समय सोवियत संघ का विघटन हुआ था तथा भारत गहरी आर्थिक समस्या से जूझ रहा था। परंतु शीघ्र ही घनिष्ठ संबंध पुनः बहाल हो गए।
→ रूस ने भारत को असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में काफी मदद की है तथा कई नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना एवं संचालन में सहयोग किया है।
→ अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी रूस ने भारत को व्यापक सहयोग प्रदान किया तथा आवश्यक उपकरण एवं तकनीक उपलब्ध कराई।
चूंकि विदेश नीति एक गतिशील प्रक्रिया है तथा समय-समय पर इसकी बदलते रहने की प्रवृत्ति है। भारत-रूस संबंधों में निम्नलिखित बदलाव आए हैं:
→ आर्थिक तथा सामरिक कारणों से भारत का झुकाव अमेरिका एवं पश्चिम यूरोपीय देशों की ओर अधिक हो रहा है।
→ चीन के साथ बढ़ते तनाव के कारण भारत ने अमेरिका के साथ-साथ जापान, वियतनाम, मंगोलिया तथा अन्य समान देशों के साथ संबंधों को मज़बूत किया है, इसके प्रत्युत्तर में रूस ने चीन तथा पाकिस्तान के साथ प्रगाढ़ संबंधों को प्राथमिकता दी है।
→ रूस ने पहली बार पाकिस्तान के साथ ‘फ्रेंडशिप-2016’ सैन्य अभ्यास में हिस्सा लिया।
→ परंतु रूस ने भारत को आश्वस्त किया है कि विवादित मुद्दों पर उसका रुख नहीं बदलेगा। भारत अब भी रूस से ही सबसे अधिक सैन्य सामग्री आयात करता है तथा वह असैन्य परमाणु एवं अंतरिक्ष क्षेत्र में भी भारत का सबसे बड़ा सहयोगी है। आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में भी दोनों देशों के पास असीम संभावनाएँ हैं। भारत एवं रूस दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता है, अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में राष्ट्र भिन्न-भिन्न हितों की पूर्ति के लिये विभिन्न राष्ट्रों से संबंध स्थापित करते हैं, इस बात को दोनों देशों को समझना होगा तथा आपसी संबंधों को नई ऊँचाई तक पहुँचाने के लिये प्रयास करना होगा।