GS Paper-2 International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Part- 1 (Q-42)

GS PAPER-2 (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Q-42
 
International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)


Q.42 - विश्व स्मृति रजिस्टरपर एक संक्षिप्त टिप्पणी दें। इस संदर्भ में भारतीय दस्तावेज़ों की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर:
भूमिका - केंद्र बिंदु से संबंधित तथ्य विवरण
यूनेस्को द्वारा विश्व स्मृति कार्यक्रमकी शुरुआत 1992 में की गई, जिससे सार्वजनिक महत्त्व के दस्तावेज़ों का प्राकृतिक क्षरण, चोरी, जानबूझकर नष्ट किये जाने, अवैध व्यापार आदि से संरक्षण किया जा सके। इसके लिये ही 1995 में विश्व स्मृति रजिस्टरका निर्माण यूनेस्को द्वारा किया गया। इस रज़िस्टर की देख-रेख का कार्य यूनेस्को महानिदेशक द्वारा नियुक्त 14 सदस्यों की अंतर्राष्ट्रीय परामर्श समिति द्वारा किया जाता है। इसी समिति की सिफारिश पर 1997 में पहली बार 38 दस्तावेज़ी धरोहरों को विश्व स्मृति रजिस्टरमें शामिल किया गया।
विश्व स्मृति रजिस्टर में वैश्विक महत्त्व की पांडुलिपियाँ, मौखिक परंपराएँ, आडियो-विज़ुअल दस्तावेज़, पुस्तकालय अभिलेखागारों में संग्रहीत दस्तावेज़ों को शामिल किया जाता है तथा उनके संरक्षण हेतु संसाधन, विशेषज्ञ और अत्याधुनिक तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जाता है। इन सूचनाओं के ज्ञान और सामग्री तक पहुँच सुगम्यता हेतु डिजिटलीकरण का भी सहयोग लिया जाता है।
भारत के 7 दस्तावेज़ी धरोहरों को विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया गया है-
इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज़ में संग्रहीत तमिल चिकित्सा पांडुलिपि-इनमें पौधों की जड़ों, छाल, पत्तियों, फूलों इत्यादि से औषधि प्राप्त करने का वर्णन किया गया है। इन्हें 1997 में शामिल करने की सिफारिश की गई।
डच ईस्ट इंडिया कंपनी के अभिलेख-अफ्रीका तथा एशिया के सैकड़ों पूर्ववर्ती स्थानीय राजनीतिक तथा व्यापारिक क्षेत्रों से संगत आँकड़ों के साथ यह पूर्व आधुनिक विश्व इतिहास की जानकारी हेतु सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण एवं विस्तृत स्रोत है। भारत सरकार द्वारा 2003 में इन्हें शामिल करने की अनुशंसा की गई।
पांडिचेरी/पुद्दुचेरी संग्रहीत शैव पांडुलिपि-ये फ्रेंच इंस्टीट्यूशंस ऑफ रिसर्च (पुद्दुचेरी) में रखे गए 11000 हस्तलिपियों का संग्रह है जो हिंदू देवता शिव की पूजा से संबंधित हैं। भारत सरकार द्वारा 2005 में विश्व स्मृति रजिस्टर में इसे शामिल करने की अनुशंसा की गई।
ऋग्वेद- चारों वेदों में सबसे प्राचीन वेद, ऋग्वेद को इस रजिस्टर में शामिल करने की अनुशंसा 2007 में की गई।
विमलप्रभा- ये तंत्र, ज्योतिषशास्त्र और खगोलशास्त्र से संबंधित हस्तलिपियाँ हैं। भारत सरकार द्वारा 2011 में इन्हें रजिस्टर में शामिल करने की अनुशंसा की गई।
तारीख़--ख़ानदान--तैमूरिया- यह पुस्तक भारत और ईरान में तैमूर और उसके उत्तराधिकारियों से संबंधित है। इनकी रचना अकबर काल में हुई थी। 2011 में ही इसे भी विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल करने की सिफारिश की गई।
शांतिनाथ चरित्र- यह देवनागरी में लिखित संस्कृत भाषा का पाठ है जिसमें 16वें तीर्थंकर शांतिनाथ के जीवन तथा समय का वर्णन है। इसकी रचना 14वीं शताब्दी में हुई थी। भारत सरकार द्वारा इसे विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल करने की अनुशंसा 2013 में की गई।

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