→ रोहिंग्या म्याँमार के रखाईन प्रांत में रहते आ रहे हैं। रोहिंग्या का मुद्दा म्याँमार और बांग्लादेश के बीच विवाद का मुद्दा रहा है। म्याँमार में सदियों से रहते आ रहे रोहिंग्या को वहाँ की सरकार ने नागरिकता से वंचित कर दिया है। इन पर हो रहे लगातार उत्पीड़न के कारण ये बांग्लादेश और भारत आ गए हैं।
→ अब बांग्लादेश और वैश्विक समुदाय क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत से इस समस्या को निपटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह कर रहे हैं, जबकि खुद भारत सरकार रोहिंग्या मुस्लमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा मानती है।
रोहिंग्या को म्याँमार में अवैध बांग्लादेशी प्रवासी माना जाता है। बहुसंख्यक बौद्ध और रोहिंग्या के बीच छिटपुट टकराव वर्ष 2012 से हिंसक टकराव में बदल गया।
→ हज़ारों रोहिंग्या म्याँमार छोड़कर बांग्लादेश आ गए। अब बांग्लादेश इन रोहिंग्या को वापस म्याँमार भेजना चाहता है। चूँकि, भारत हर प्रकार के आतंकवाद का विरोध करता है इसलिये वह ‘रोहिंग्या मुक्ति सेना’ को समर्थन नहीं दे सकता है। इसे बांग्लादेश भारत की ओर से एक नकारात्मक संबंध मानता है
→ अब रोहिंग्या असम के रास्ते बांग्लादेश से भारत में प्रवेश करना चाहते हैं। भारत पहले से ही हज़ारों शरणार्थियों को शरण दे चुका है। गृह मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, देश में रोहिंग्या की संख्या लगभग 40 हज़ार है।
→ जहाँ एक ओर बांग्लादेश और वैश्विक समुदाय इस समस्या के समाधान में भारत की अहम भूमिका चाहते हैं वहीं, दूसरी ओर भारत का गृह मंत्रालय रोहिंग्या मुसलमानों को राष्ट्रीय हित के लिये खतरा मान रहा है और देश से बाहर निकालना चाहता है।
→ रोहिंग्या भारत, बांग्लादेश और म्याँमार के बीच एक बहुपक्षीय मुद्दा है। वर्तमान में भारत बिम्सटेक को फिर से जीवंत बनाने का प्रयास कर रहा है, जिसमें बांग्लादेश और म्याँमार की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इसलिये यह केवल आंतरिक सुरक्षा का मामला न होकर भारत के आर्थिक और रणनीतिक हित से भी जुड़ा हुआ है।
सुझाव:
→ भारत को इस समस्या का दीर्घावधि समाधान तलाशना होगा।
→ अपनी आंतरिक सुरक्षा का ध्यान रखते हुए किसी भी आक्रामक प्रतिक्रिया से बचना चाहिये।
→ भारत को कोफी अन्नान आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने का प्रयास करना चाहिये।
→ लोकतांत्रिक देश होने के नाते भारत को शरणार्थियों के लिये पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था का निर्माण करना चाहिये।
→ रोहिंग्या समस्या के समाधान के लिये भारत, बांग्लादेश और म्याँमार को मिलकर एक दीर्घावधि समाधान तलाशने की आवश्यकता है।
→ रोहिंग्या समस्या एक बहुपक्षीय समस्या है। यह भारत की आंतरिक सुरक्षा और आर्थिक एवं राजनीतिक हित को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकती है। अत: भारत के लिये रोहिंग्या समस्या का समाधान करना स्वयं के हित और पड़ोसियों की अपेक्षाओं को संतुलित करने की क्षमता पर निर्भर है। समस्या के दीर्घावधि समाधान के लिये तीनों राष्ट्रों को मिलकर म्याँमार में रोहिंग्याओं की सामाजिक स्थिति में सुधार करना होगा।