GS Paper-1 Indian Culture (संस्कृति) Part-1 (Q.48)

GS PAPER-1 (संस्कृतिQ-48
 
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Q.48 - भारतीय कला, संस्कृति और स्थापत्य के क्षेत्र में विजयनगर साम्राज्य के योगदान की चर्चा करें।
उत्तर :
      भारतीय कला संस्कृति और स्थापत्य के विकास की दृष्टि से विजयनगर साम्राज्य अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। इस दौरान भारतीय कला तथा संस्कृति का बहुआयामी विकास हुआ। इसे निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
विजयनगर साम्राज्य में कला एवं संस्कृति का विकास:
  विजयनगर शासकों ने अपने दरबार में बड़े-बड़े विद्वानों एवं कवियों को स्थान दिया। इससे इस काल में साहित्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। राजा कृष्णदेव राय एक महान विद्वान, संगीतज्ञ एवं कवि थें। उन्होंने तेलुगू भाषा मेंअमुक्तमाल्यदा’  तथा संस्कृत में जांबवती कल्याणम्नामक पुस्तक की रचना की। उनके राजकवि पद्दन ने मनुचरित्रतथा हरिकथा शरणम्जैसी पुस्तकों की रचना की। वेदों के प्रसिद्ध भाष्यकार सायणतथा उनके भाई माधव विजयनगर के शासन के आरंभिक काल से संबंधित हैं। सायन ने चारों वेदों  पर टीकाओं की रचनाकार वैदिक संस्कृति को बढ़ावा दिया।
  चित्रकला के क्षेत्र में लिपाक्षी शैलीतथा नाटकों के क्षेत्र मेंयक्षगानका विकास हुआ। लिपाक्षी कला शैली के विषय रामायण एवं महाभारत से संबंधित हैं। 
  विजयनगर के शासकों ने विभिन्न धर्मों वाले लोगों को प्रश्रय दिया।  बारबोसा ने कहा है-राजा इतनी स्वतंत्रता देता है कि...... प्रत्येक व्यक्ति बिना इस पूछताछ के कि वह ईसाई है या यहूदी, मूर है या विधर्मी, अपने मत और धर्म के अनुसार रह सकता है।  इससे भारत में एक समावेशी संस्कृति के निर्माण को बढ़ावा मिला।
विजयनगर साम्राज्य में स्थापत्य का विकास:
  विजयनगर साम्राज्य  में संस्कृति के साथ-साथ कला तथा वास्तुकला की भी उन्नति हुई। कृष्णदेव राय ने हजारा एवं विट्ठल स्वामी मंदिर का निर्माण करवाया। ये मंदिर स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं। मंडप के अलावा कल्याण मंडपका प्रयोग, विशाल अलंकृत स्तंभों का प्रयोग तथा एकात्मक कला से निर्मित स्तंभ एवं मूर्तियाँ विजयनगर स्थापत्य की विशिष्टता को दर्शाते हैं। स्थापत्य कला की दृष्टि से विजयनगर किसी भी समकक्ष नगर से कमतर नहीं था। अब्दुल रज्जाक विजयनगर को विश्व में कहीं भी देखें या सुने गए सर्वाधिक भव्य एवं उत्कृष्ट नगरों में से एक मानता है। उसका कहना था की नगर इस रीति से निर्मित है कि सात नगर-दुर्ग और उतनी ही दीवारें एक दूसरे को काटती हैं। सातवां दुर्ग जो अन्य दुर्गों के केंद्र में स्थित है, का क्षेत्र विस्तार हिरात नगर के बाजार केंद्र से 10 गुना बड़ा है।  बाजारों के साथ-साथ राजा के महलों में तराशे हुए चिकने और चमकीले पत्थरों से निर्मित असंख्य बहती धाराएँ और नहरें देखी जा सकती थीं। ये विजयनगर स्थापत्य की उत्कृष्टता को दर्शाते हैं।
  स्पष्ट है कि भारतीय संस्कृति और स्थापत्य के विकास में विजयनगर साम्राज्य का अभूतपूर्व योगदान है।

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