अमेरिका में अपने उपनिवेशों से अधिकाधिक लाभ अर्जित करने हेतु जिन शोषणकारी नीतियों का पालन किया गया, वही नीतियाँ अमेरिका में क्रांति के लिये ज़िम्मेदार बनी। अंग्रेज़ों की इन शोषणकारी नीतियों में राजनैतिक एवं आर्थिक नीतियाँ, सामाजिक भेदभाव की नीति के साथ अमेरिका में उपजा वैचारिक चिंतन भी क्रांति के लिये उत्तरदायी था। इन परिस्थितियों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-
→ ब्रिटिश वाणिज्यिक नीतियाँ अमेरिकी पूंजीपतियों के लिये अनुकूल नहीं थी। उन्हें न तो गैर-ब्रिटिश जहाज़ो के उपयोग की अनुमति थी और न ही वे लौहकर्म एवं वस्त्र-निर्माण जैसे उद्योगों को स्थापित कर सकते थे।
→ ब्रिटिश संसद द्वारा सन् 1765 में पारित स्टाम्प अधिनियम भी उपनिवेशों के व्यापारियों पर अतिरिक्त बोझ डालने जैसा था।
→ 1689 में ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए घोषणा- पत्र में भी अमेरिकी और ब्रिटिशर्स के अधिकारों में भेदभाव देखा गया था।
→ इसके अतिरिक्त जॅान लॅाक, पेन और हैरिंगटन जैसे चिंतकों ने स्वतंत्रता व समानता के विचारों से लोगों को प्रेरित करने का कार्य किया।
→ उपर्युक्त परिस्थितियों के सम्मिलित प्रभावों ने लोगों व उपनिवेशों के प्रतिनिधियों को “प्रतिनिधित्व नहीं तो तो कर नहीं” जैसे नारों और फिलाडेल्फिया के प्रथम महाद्वीपीय कॅान्ग्रेस में अनिवार्य कर और व्यापारिक प्रतिबंधों के प्रति सजग बनाया।
→ ब्रिटिश सम्राट ने अनिवार्य कर और प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग को विद्रोह की संज्ञा दी और इसे दबाने के लिये सनिकों का सहारा लिया। इसके परिणामस्वरूप सैन्य रक्षा के उद्देश्य से उपनिवेशवासियों ने अमेरिकी सेना के साथ मिलकर जॅार्ज़ वाशिंगटन के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ी।
फ्राँसिसी क्रांति पर प्रभाव:
→ अमेरिकी क्रांति ने फ्राँसिसियों के लिये प्रेरणा का कार्य किया और स्वतंत्रता, समानता जैसे मूल्यों को नए रूप में प्रस्तुत किया।
→ फ्राँसिसी जनरल लफायते, जिन्होंने अमेरिकी क्रांति में भाग लिया था, फ्राँसिसी क्रांति क्रांति के भी सफल नायक बनकर उभरे।
→ फ्राँसीसी सैनिकों ने अमेरिकी क्रांति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, इसी से प्रेरित होकर वे फ्राँस में अमेरिका की तरह ही समानता व स्वतंत्रता प्रदान करने वाली लोकतांत्रिक दशाओं को स्थापित करना चाहते थे।