हाल ही के वर्षों में पूरे विश्व में यौन हिंसा गंभीर बहस और विवाद का विषय रही है। सामान्य तौर पर वैवाहिक बलात्कार इस बहस से अछूता रह जाता है। परंतु कुछ दिनों से यह एक विवाद का कारण बन गया है। यह विवाद वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल करने को लेकर है। इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह है कि इसे एक दंडनीय अपराध बनाया जाए या यथास्थिति को जारी रखा जाए।
वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल किये जाने के पक्ष में तर्क-
→ राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार देश में यौन हिंसा के ज़्यादातर कृत्यों में पति शामिल होते हैं।
→ जस्टिस जे.एस.वर्मा समिति ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम में भी वैवाहिक बलात्कार को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में शामिल करने का सुझाव दिया था।
→ कई महिला कार्यकर्त्ताओं का मानना है कि यौन सहमति प्रत्येक महिला का अधिकार है, फिर चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित। रिश्तों पर ध्यान न देते हुए असहमति से बने यौन संबंधों को उसी दृष्टि से देखा जाना चाहिये, जैसा कि यौन हिंसा के अन्य मामलों में देखा जाता है।
→ दबाव में बने यौन संबंध संविधान द्वारा प्रदत्त निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
→ मलेशिया, तुर्की, बोलिविया, अमेरिका व यूरोप के कुछ देशों ने इसे अपराध की श्रेणी में लाने के लिये अपने कानूनों में बदलाव किया है।
वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में शामिल किये जाने के विपक्ष में तर्क-
→ भारतीय समाज में विवाह एक संस्था के रूप में अत्यंत पवित्र और अनुल्लंघनीय है। इस संस्था की अखंडता को बनाए रखने के लिये अतिवादी कदम उठाने से बचना चाहिये।
→ वैवाहिक गोपनीयता को बनाए रखने के लिये यह आवश्यक है कि राज्य नागरिकों के व्यक्तिगत संबंधों में हस्तक्षेप न करे। यदि वैवाहिक यौन संबंधों को अपराध घोषित किया जाता है, तो यह गोपनीयता के उद्देश्य को बाधित करेगा।
→ आशंका है कि इस कानून का घरेलू हिंसा से संबंधित कानून IPC की धारा 498A की तरह ही दुरुपयोग किया जाएगा।
→ यदि आज वैवाहिक यौन संबंधों को तथाकथित बलात्कार के रूप में अपराध बना दिया जाता है तो संभावना है कि भविष्य में पत्नी से छेड़छाड़ जैसे मामलों को भी कानूनी दायरे में लाने जैसी मांग उठने लगे।
→ दिल्ली उच्च न्यायालय में सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ‘मैरिटल रेप’ को अपराध करार दिये जाने से विवाह संस्था अस्थिर हो जाएगी। भारतीय समाज में परिवार की बहुत महत्ता है। इस तरह के कानून उन समाजों में स्वीकार्य हो सकते हैं जहाँ परिवार की कोई अहमियत न हो। हमारा अनुभव है कि दहेज़ और घरेलू हिंसा के कानूनों का बहुत दुरुपयोग हुआ है।
→ वर्तमान महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि मौजूदा घरेलू हिंसा कानून के तहत महिलाएँ वैवाहिक बलात्कार की शिकायत कर सकती हैं। इस बात पर संदेह है कि नया कानून बन जाने पर भी महिलाएँ ऐसे मामलों की शिकायत करेंगी। वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित कर समूचे भारतीय समाज और विवाह संस्था की नींव कमज़ोर करने से बेहतर विकल्प यह है कि मौजूदा कानून का पूरी सामर्थ्य के साथ इस्तेमाल किया जाए।