GS Paper-2 Social Justice (सामाजिक न्याय) Part-1 (Q.39)

GS PAPER-2 (सामाजिक न्याय) Q-39
 
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Q.39 - समाज में असमानता एवं अंतर का विद्यमान होना व्यवसाय और व्यापार के लिये सही नहीं होता। कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी को व्यापार के साथ उलझा हुआ एक कारक माना जाता है। अगर सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों का अच्छे से ध्यान रखा जाए तो यह व्यवसाय के लिये अच्छा होता है। भारत के संदर्भ में इस पर चर्चा करें।
उत्तर :
भूमिका:
      कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारीएक व्यापक अवधारणा है जिसके तहत व्यावसायियों द्वारा अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के साथ-साथ समाज को भी लाभान्वित करने की कोशिश की जाती है। उद्योग कंपनी के आधार पर इसके कई रूप हो सकते हैं।
विषय-वस्तु
      कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी व्यापारिक या औद्योगिक समूह की स्व-निंयत्रित पहल है जिसके अंतर्गत वे कानून सम्मत, नैतिक मानकों अंतर्राष्ट्रीय रीति के अनुरूप कार्य करते हैं। 2014 में भारत, कंपनी अधिनियम 2013 में संशोधन करने के बाद कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी को अनिवार्य बनाने वाला दुनिया का पहला देश बना। कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के प्रावधान कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी से संबंधित है जिनका दृष्टिकोण समावेशी विकास के माध्यम से उत्तरदायी और टिकाऊ विकास करना है।
कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व संबंधित गतिविधियाँ
  अत्यधिक गरीबी भूख का उन्मूलन
  शिक्षा का प्रचार-प्रसार
  लिंग समानता को प्रोत्साहन नारी सशक्तीकरण
  शिशु मृत्यु- दर कम करना मात् - स्वास्थ्य में सुधार
  पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना
  रोज़गार बढ़ाने वाले व्यावसायिक कौशल
  सामाजिक व्यापार परियोजना
  प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष या अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला, अल्पसंख्यक तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के सामाजिक-आर्थिक विकास और राहत के लिये केंद्र या राज्य सरकार द्वारा गठित किसी कोष में योगदान
  कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी सिर्प एक सामाजिक ज़िम्मेदारी है बल्कि यह एक नैतिक दायित्व भी है। भारत में बड़े स्तर पर असमानता पायी जाती और जब तक गरीबों की स्थिति में सुधार और गरीबी एवं भूखमरी में कमी नहीं जाती तब तक कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व असफल माना जाएगा। जो कंपनी समाज का ध्यान रखती है उसे बदले में बेहतर शिक्षित और स्वस्थ श्रम शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार यह एक पुरस्कृत अनुभव हो जाता है। परंतु कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व को स्थानीय स्तर पर निर्णय निर्माण से जोड़ना बहुत ज़रूरी है तभी इसके अच्छे नियत की अद्भुत परिणति प्राप्त होगी। इसके साथ ही MPLADs की फंडिंग संबंधित कमियों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है क्योंकि इसके तहत पैसे को अवसंरचना निर्माण पर तो खर्च किया जा सकता है। परंतु रख-रखाव पर नहीं
निष्कर्ष:
      इस प्रकार हम पाते हैं कि अगर लोग सहयोग करें तो कंपनियाँ इच्छित सफलता प्राप्त कर सकती है लेकिन इसके लिये ज़रूरी है कि कंपनियाँ लोगों को तार्किक रूप से वह प्रदान करने की कोशिश करें जो वे चाहते हैं।

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