→ ऐतिहासिक रूप से भारत और अफ्रीका के बीच घनिष्ठ राजनीतिक-सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। किंतु भारत द्वारा इस महाद्वीप के साथ संबंध बेहतर बनाने का प्रयास 1990 के दशक से शुरू किया गया। अफ्रीका के साथ भारतीय संबंधों की जड़ एक मज़बूत साझा दक्षिण-दक्षिण सहयोग सिद्धांत में निहित है। भारत-अफ्रीका संबंधों का आधार, भारत का उपनिवेशवाद विरोधी तथा नस्लवाद विरोधी लड़ाई और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष को समर्थन देना रहा है।
→ वर्तमान समय में कछ महत्त्वपूर्ण चुनौतियों जैसे- वैश्विक शासन संस्थाओं में सुधार, हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा की चुनौती, ऊर्जा असुरक्षा और उग्रवाद एवं आतंकवाद का उदय आदि का भारत और अफ्रीका समान रूप से सामना कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचे का विकास एवं गरीबी जैसी चुनौतियाँ भी दोनों जगहों पर समान रूप से विद्यमान हैं।
भारत-अफ्रीका के साझा हित:-
→ भारत और अफ्रीका ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन के सभी लंबित विषयों पर दोनों सहभागी एकमत हैं और बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के पक्ष में हैं।
→ भारत और अफ्रीका का जलवायु परिवर्तन पर भी परस्पर सहयोग है। दोनों का भूमंडलीय तापमान वृद्धि में बहुत कम योगदान है।
→ सुरक्षा परिषद में सुधार से भारत एवं अफ्रीका दोनों के हित जुड़े हैं, इसलिये दोनों पक्षों का सुरक्षा परिषद के सुधारों के संबंध में एक ही सुर में बात करना आवश्यक है।
→ भारत लोकतांत्रिक विकास के लिये एक उपयोगी मॉडल उपलब्ध कराता है। दरअसल, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, अफ्रीकी देशों की सरकारों के साथ अपने लोकतांत्रिक अनुभव साझा कर रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम पर प्रशिक्षण और कानून के शासन को मज़बूत करने हेतु एक लोकतांत्रिक न्यायिक प्रणाली की स्थापना आदि जैसे क्षेत्रों में अफ्रीका भारत से सहयोग प्राप्त कर सकता है, तो साथ ही अफ्रीका भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण बाज़ार के रूप में उभरा है। भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की ज़रूरतों की पूर्ति के लिये अफ्रीका एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनता जा रहा है।
→ नई दिल्ली का मानना है कि मज़बूत भारत-अफ्रीका संबंधों के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों से निपटा जा सकता है, जो दोनों के आर्थिक विकास की गति को बढ़ावा देने के लिये भी आवश्यक है।