भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वी एशिया के तीन देशों इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया की यात्रा पर गए। इस यात्रा के पहले चरण में वह इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता गए। इस यात्रा के दौरान भारत और इंडोनेशिया के मध्य कुछ महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए, जिनमें रक्षा, विज्ञान, तकनीक, रेल और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग शामिल हैं। कुछ अन्य प्रमुख बिंदुओं पर सहयोग के लिये सहमति भी व्यक्त की गई है।
इन समझौतों के महत्त्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं—
→ भारत-इंडोनेशिया के मध्य विभिन्न समझौतों में से 6 समझौते विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के मध्य संपन्न हुए हैं।
→ इसके साथ-साथ इंडोनेशिया के बाली और भारत के उत्तराखंड राज्यों को ‘सहोदर राज्य’ के रूप में विकसित करने संबंधी घोषणा भी की गई।
→ प्रधानमंत्री मोदी ने इंडोनेशियाई नागरिकों को भारत में 30 दिनों का मुफ्त वीजा देने की घोषणा की है।
→ इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने SAGAR (Security and Growth for All in Region) विजन की चर्चा करते हुए भारत-इंडो पैसिफिक क्षेत्र के विकास के लिये भारत की प्रतिबद्धता को जाहिर किया है।
→ भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ तथा ‘सागर विजन’ बहुत हद तक इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो की ‘मैरीटाइम फलक्रम पॉलिसी’ के जैसा ही है।
→ भारत और इंडोनेशिया के मध्य संबंधों का इतिहास हजारों साल पुराना है। ईसा के जन्म से पहले से ही भारत के सौदागर एवं नाविक इंडोनेशिया की यात्र कर रहे हैं। यही कारण है कि दोनों देशों के मध्य बहुत-सी सांस्कृतिक समानताएँ देखने को मिलती हैं। यहाँ के लोगों की जीवनशैली पर हिंदू संस्कृति का बहुत अधिक प्रभाव है। दोनों देशों के खान-पान एवं बोली में भी काफी समानताएँ हैं जो दोनों देशों के मध्य निकट संबंधों का उल्लेख करती हैं। इंडोनेशिया के उत्सवों और झाँकियों में रामायण और महाभारत के पात्र कठपुतलियों के रूप में नजर आते हैं। इसके अतिरिक्त जावा द्वीप पर प्रांबानन में हिंदू मंदिर और बोरोबुंदूर में संसार का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप अवस्थित है।
→ भारत और इंडोनेशिया द्वारा वर्ष 2019 में अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगाँठ मनाए जाने की घोषणा के साथ ही इस यात्रा के दौरान किये गए समझौतों से भारत-इंडोनेशिया संबंधों की ऐतिहासिक नींव पर एक मजबूत इमारत का निर्माण किया जा सकेगा।