GS Paper-2 International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Part- 1 (Q-11)

GS PAPER-2 (अंतर्राष्ट्रीय संबंध) Q-11
 
International Relation (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)


Q.11 - प्रवासनकी परिभाषा को स्पष्ट करते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर अवैध प्रवासन के कारणों की जाँच करें। साथ ही इस समस्या से निपटने के लिये उचित सुझाव प्रदान करें।
उत्तर :
भूमिका में:
      प्रवासन का सामान्य अर्थ है लोगों का नए क्षेत्र या देश में रोज़ी-रोटी या बेहतर रहन-सहन के लिये गमनागमन। इसमें निवास परिवर्तन, भौतिक और सामाजिक वातावरण, दूरी और समय में बदलाव भी शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में देखें तो प्रवासन में लोगों का एक देश से दूसरे देश में विशिष्ट उद्देश्य के लिये गमनागमन होता है।
विषय-वस्तु में:
प्रवासन के कारणों और उनके अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप पर चर्चा -
दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन तब शुरू हुआ जब यूरोप में औद्योगिक क्रांति के दौरान राष्ट्र-राज्य की विचारधारा ने ज़ोर पकड़ा और परिणामस्वरूप उपनिवेशवाद दुनिया के चारों दिशाओं में फैला। प्राकृतिक या मानवजनित आपदाओं के कारण स्थायी या अस्थायी प्रवासन सदियों से प्रचलित रहा है। युद्ध, अत्याचार, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण क्षरण और आर्थिक पहलू लोगों के प्रवासन के प्राथमिक पहलू रहे हैं। संघर्ष, मानवाधिकार उल्लंघन, हिंसा या उत्पीड़न से बचने के लिये भी लोग प्रवासन करने के लिये बाध्य होते हैं। हाल के दशकों में विश्व अर्थव्यवस्था की एक परिभाषित विशेषता यह भी है कि प्रवासन बढ़ रहा है।
प्रवासन की अवधारणा को दो श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है- अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन और आंतरिक प्रवासन। अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन के तहत अपने देश से अलग एक राजनीतिक सीमा से दूसरे देश में गमनागमन होता है। दूसरी तरफ, आंतरिक प्रवासन के तहत अपने ही देश की सीमाओं में लोगों का गमानगमन होता है।
इसी प्रकार प्रवासन वैध एवं अवैध भी हो सकता है। अवैध प्रवासन की बढ़ती प्रवृत्ति संगठित अपराध, आतंकवाद और उग्रवादी गतिविधियों से बहुत निकटता से जुड़ी हुई है, जिसे उन प्रवासियों को बढ़ावा मिलता है, जो इन आपराधिक ढाँचे में प्रवेश करते हैं और निवास करने वाले देश में सामाजिक और जातीय संघर्ष शुरू करते हैं। अवैध प्रवासन के लिये ज़िम्मेदार पुल फैक्टर के अंतर्गत प्रवासियों को आकर्षित करने जैसी परिस्थितियाँ जैसे- शहरों में संसाधनों और सुविधाओं का प्रचुरता में उपलब्ध होना आदि आते हैं एवं पुश फैक्टर के तहत अकाल, अनावृष्टि, कम कृषि उत्पादकता, बेरोज़गारी इत्यादि जैसी परिस्थितियाँ आती हैं।
भारत-बांग्लादेश सीमापार प्रवासन पर चर्चा -
      रोज़गार, व्यापार और बेहतर अवसर के लिये लोगों का सीमापार जाना एक प्राकृतिक प्रवृत्ति है, जो कि पूरी दुनिया में विकसित और विकासशील देशों के बीच देखी जा सकती है। सभी दक्षिण एशियाई देशों में सबसे अधिक विकसित होने के कारण पड़ोसी देशों के आप्रवासियों का सबसे पसंदीदा देश और गंतव्य भारत ही है। बांग्लादेश तीन तरफ भारत से घिरा हुआ है और इसकी सीमाएँ भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम से लगी हुई हैं।
भारत-बांग्लोदश सीमा पर अवैध प्रवासन के कारण-
1947 में ब्रिटिश भारत में बँटवारे के समय काफी संख्या में लोगों द्वारा भारत के भीतर प्रवेश।
बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हिंसा और नरसंहार के कारण काफी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिकों ने भारत में अवैध शरणार्थी के रूप में प्रवेश किया।
विविध प्रकार के सीमा पर प्रबंधन एक कठिन कार्य है। अनिश्चित और छिद्रपूर्ण सीमा केवल तनाव पैदा करती है बल्कि क्रॉस बॉर्डर घुसपैठ, अवैध अप्रवास, स्मग्लिंग और अपराध को भी बढ़ावा देती है।
अवैध प्रवासन का एक मुख्य कारण बांग्लादेश में तेज़ी से बढ़ती आबादी को भी माना जा रहा है। निम्न भूमि दबाव और कमज़ोर राज्य प्रतिरोध अधिनियम का लाभ लेते हुए वे भारत में प्रवेश कर जाते हैं।
इस समस्या से निपटने के लिये उचित समाधान -
बांग्लादेश से अवैध प्रवासन भारत में एक ज्वलंत मुद्दा है, खासकर भारत के उत्तरी-पूर्वी हिस्से के लिये। इसमें सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य असम है। छिद्रपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सीमा से बड़ी संख्या में अवैध रूप से लोगों के घुसपैठ से प्रवासियों और स्थानीय निवासियों के मध्य प्राकृतिक संसाधनों और सरकारी-निजी क्षेत्रों में रोजगार को लेकर संघर्ष छिड़ गया है।
अवैध बांग्लादेशी आप्रवासियों की समस्या से निपटने के लिये भारत को बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय समझौते के लिये पहल करने की आवश्यकता होगी, ताकि दोनों देश एक-दूसरे के देश में अवैध रूप से रह रहे अपने नागरिकों को उचित सत्यापन प्रक्रिया के बाद वापस लेने के लिये सहमत हो सकें।
भारत को कुछ विशिष्ट श्रेणी के तहत भारत में रह रहे बांग्लादेशियों को वर्क परमिट देने पर विचार करने हेतु सहमत होना पड़ेगा।
भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों, शरणार्थी या अवैध प्रवासी के रूप में पहचान की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिये।
भारत-बांग्लादेश की 4096 किमी. की साझी सीमा को उचित महत्त्व दिया जाना चाहिये। दोनों देशों को संयुक्त समन्वय सीमा प्रबंधन योजना (CBMP) पर काम करना होगा, जिस पर 2011 में हस्ताक्षर हो चुके हैं।
इन निवारक उपायों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का भी सहारा लिया जाना चाहिये।
इसके अलावा सत्यापन और अवैध प्रवासियों के गमनागमन के लिये सुविधा प्रदान करने वाले एजेंटों के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिये।
इसके ठोस समाधान के लिये भारत को अंतर्राष्ट्रीय कारकों, जैसे यूएनएचसीआर और आईओएम की संलग्नता पर भी ध्यान देना चाहिये।
निष्कर्ष:
      लोगों का प्रवासन एक प्राकृतिक प्रवृत्ति है, लेकिन जब बड़ी संख्या में लोगों का समूह किसी क्षेत्र में प्रवास करता है तो वह क्षेत्र राजनीतिक और आर्थिक दोनों रूपों में बुरी तरह प्रभावित होता है। भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र क्रॉस बॉर्डर ह्मूमन ट्रैफिक से सबसे ज़्यादा पीड़ित है। हालाँकि केवल पूर्वोत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रवासन एक राजनीतिक और आर्थिक मुद्दा बन गया है। अवैध बांग्लादेशियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कब्ज़ा अब आंतरिक सुरक्षा के लिये एक गंभीर खतरा बन चुका है। बेहतर सीमा प्रबंधन, स्मार्ट फेंसिंग, सीमा पर सड़कों का निर्माण, अद्वितीय पहचान संख्या (UID) योजना लागू करने, डेटा का संकलन आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे अवैध प्रवासन में काफी कमी सकती है।

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