भूमिका:
हाल ही में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा प्रिषद द्वारा बी.वी.आर. मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली समितियों को स्वीकार किया गया, जिसका गठन इंजीनियरिंग शिक्षा हेतु लघु और मध्यम अवधि की योजना पर सिफारिशें प्रदान करने के लिये किया गया था।
विषय-वस्तु
→ देश में प्रत्येक वर्ष सैकड़ों की संख्या में इंजीनियरिंग कॉलेज बंद होते जा रहे हैं क्योंकि उनमें छात्र प्रवेश नहीं ले रहे हैं। इन आँकड़े से स्पष्ट है कि देश में उच्च शिक्षा को लेकर रूख बदल रहा है। निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने में छात्रों की रूचि में काफी गिरावट आई है। इनके शिक्षा की गुणवता पर भी सवाल खड़े हुए है। इन संस्थानों को खराब बुनियादी ढ़ाँचे, संबंधित उद्योगों से जुड़ाव और प्रयोगशाला की कमी जैसी समस्याओं से ग्रसित पाया गया है। भारी मात्रा में फीस वसूले जाने के बावजूद इंटर्नशिप और रोज़गार का कोई इंतजाम नहीं होता है।
→ अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् के अनुसार 60 फीसदी से अधिक इंजीनियरिंग छात्र बेरोज़गार ही रह जाते हैं और शेष छात्रों को शिक्षा के निम्न स्तर की वजह से कम वेतन वाली नौकरी मिलती है।
इन्ही के मद्देनजर बी.वी. मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की हैं, जिनमें से निम्न है-
→ 2020 के बाद किसी भी नए इंजीनियरिंग कॉलेज को मंजूरी नहीं
→ पहले से ही आवेदन करने वालों को रियायतें मिलनी चाहिये
→ मौजूदा इंजीनियरिंग संस्थानों में से केवल उन संस्थानों का अनुरोध स्वीकार किया जाना चाहिये जो नई तकनीकों में शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने या पारंपरिक इंजीनियरिंग विषयों में मौजूदा क्षमता को बदलते हुए कृत्रिम बुद्धिमता या रोबोटिक्स जैसी उभरती तकनीकों को शामिल करते हों। समिति ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् को आर्टिफिशियल इंटेलिजेस, ब्लॉकचेन, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, डेटा साइंसेज, साइबर स्पेस, 3डी प्रिंटिग और डिजाइन जैसी उभरती तकनीकों में अंडर-ग्रेजुएट इंजीनियरिंग प्रोग्राम शुरू करने का सुझाव दिया है।
→ समिति ने क्षमता के निर्माण की समीक्षा हर दो साल पर करने की बात कही है।
शैक्षिक संस्थानों में नवाचार, इन्क्यूवेशन और स्टार्ट-अप के लिये उचित माहौल का अभाव है। इसलिये प्रत्येक शिक्षण संस्थान हेतु निम्नलिखित अनिवार्य होने चाहिये-
→ टंडर-ग्रेजुएट्स के लिये उद्यमिता ऐच्छिक पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिये।
→ अटल इनोवेशन प्रयोगशालाओं के समान ही टिंकरिंग प्रयोगशालाएँ प्रत्येक संस्थान में होनी चाहिये।
निष्कर्ष:
शैक्षिक संस्थानों को इन्क्यूवेटर सैटर, मेंटर क्लब और एक्सेलरेटर प्रोग्राम शुरू करने की जरूरत है।
मौजूदा संस्थानों में अतिरिक्त सीटों को मंजूरी देने के संदर्भ में समिति का कहना है कि AICTE को संबंधित संस्थान की क्षमता के आधार पर ही अनुमोदन देना चाहिये।