शिवाजी एक योग्य सेनापति तथा कुशल राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपने प्रयासों से एक मज़बूत मराठा साम्राज्य की नींव रखी। शिवाजी की उपलब्धियों को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
→ शिवाजी से पूर्व मराठे कुछ छोटे-छोटे स्थानीय रियासतों में बटें थे। किंतु शिवाजी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने दक्कन से लेकर कर्नाटक तक मराठा साम्राज्य के प्रभाव में वृद्धि की और अखिल भारतीय स्तर पर इसे एक स्थान प्रदान किया।
→ शिवाजी की उपलब्धि एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था के निर्माण के रूप में भी देखी जा सकती है। प्रशासन में सहायता के लिये अष्टप्रधानों की नियुक्ति कर उन्होंने वित्त, सेना, गुप्तचर-व्यवस्था तथा पत्र-व्यवहार जैसे क्षेत्रों में कुशलता को बढ़ाया।
→ शिवाजी ने आय हेतु एक प्रमाणिक राजस्व व्यवस्था का गठन किया तथा सरदेशमुखी के साथ-साथ चौथ के माध्यम से साम्राज्य का आर्थिक आधार व्यापक किया।
→ नकद वेतन पर आधारित सेना का गठन शिवाजी की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी। कठोर अनुशासन पर बल देकर उन्होंने मराठा सेना की प्रभावशीलता में वृद्धि की। इसके अलावा कुशल छापामार युद्ध की नीति का विकास भी सैन्य क्षेत्र में शिवाजी की महात्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।
→ अपने साम्राज्य की सुरक्षा के लिये मज़बूत किलेबंदी की व्यवस्था शिवाजी की एक अन्य उपलब्धि थी। अपनी दूरदर्शिता के कारण विश्वासघात से बचने के लिये उन्होंने समान दर्जे वाले तीन व्यक्तियों को किले का प्रभार देने की नीति अपनाई।
→ शिवाजी की ये नीतियाँ मराठा साम्राज्य के विकास में अत्यंत सहायक हुईं। कुशल राजस्व व्यवस्था से होने वाली आय के कारण मराठों की सैनिक शक्ति में भी वृद्धि हुई। वहीं अखिल भारतीय स्तर पर मराठों को उभारने के कारण आगे चल कर मुग़ल साम्राज्य द्वारा भी उन्हें पर्याप्त महत्त्व प्रदान किया गया। इससे मराठों के साम्राज्य का विस्तार हुआ। शिवाजी द्वारा विकसित की गई छापेमारी-युद्ध प्रणाली का प्रयोग करके ही बाजीराव प्रथम ने कृष्णा नदी से अटक तक मराठा साम्राज्य के विस्तार का प्रयास किया।
मराठा साम्राज्य के पतन के कारण:
→ कुशल नेतृत्व का अभाव: माधवराव जैसे कुशल पेशवा की असमय मृत्यु से मराठों की नेतृत्व क्षमता प्रभावित हुई। इससे मराठों के आत्मविश्वास में कमी आई।
→ मराठा सरदारों में आपसी एकता का अभाव होने से सत्ता के लिये मराठा सरदारों में आपसी संघर्ष शुरू हो गए, जिसका लाभ उठा कर अंग्रेजों ने मराठा साम्राज्य पर अपना प्रभाव बढाया।
→ चौथ कर वसूली को जबरदस्ती थोपे जाने के कारण पैदा हुए शत्रुओं ने संकट के मराठों का साथ नहीं दिया जो आगे चल कर मराठा साम्राज्य के पतन का कारण बना।
→ इन समस्याओं के कारण मराठों का मज़बूत सैन्य संगठन भी प्रभावित हुआ और युद्ध की स्थिति में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
→ इन कारणों के अलावा अंग्रेजों की कूटनीति तथा सैन्य कुशलता भी मराठा साम्राज्य की कमजोरियों पर भारी पड़ी और उन्होंने ‘पुणे की संधि’ के द्वारा पेशवा के पद को समाप्त कर मराठों कीचुनौती को समाप्त कर दिया।