GS Paper-1 Geography (भूगोल) Part-1 (Q-49)

GS PAPER-1 (भूगोल) Q-49
 
GS Paper-1 Geography (भूगोल)


Q.49 - महाद्वीपीय मग्न तट से आप क्या समझते हैं? इसकी उत्पत्ति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
उत्तर :
समुद्र के जल में डूबे महाद्वीपीय किनारों/तटों को महाद्वीपीय मग्न तट कहते हैं। महासागरों के नितल का यह भाग समुद्र तल से 120 से 180 मीटर तक की गहराई तक विस्तृत होता है तथा इसका ढाल बहुत कम होता है। इसके अंत में ढाल आकस्मिक रूप से प्रपाती हो जाता है और समुद्र की गहराई में वृद्धि हो जाती है। महाद्वीपीय मग्न तटों का औसत ढाल 0.2% अथवा होता है।
महाद्वीपीय मग्न तटों के क्षेत्र मानव के लिये महासागरों के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग होते हैं। इन तटों पर समुद्र का जल छिछला होता है, जिससे प्रकाश इनके नितल तक प्रवेश कर जाता है। इसके अतिरिक्त, महाद्वीपों से अनेक प्रकार के पोषक तत्त्व नदियों द्वारा बहाकर यहाँ लाए जाते हैं। इन कारणों से इस क्षेत्र में वनस्पतियों तथा समुद्री जीवों को विकसित होने का पूरा अवसर मिलता है। इसलिये महाद्वीपीय मग्न तटों के उथले जल में मछलियों की भारी मात्रा उपलब्ध होती है।
महाद्वीपीय मग्न तटों की उत्पत्ति के संबंध में विद्वानों ने अपने अलग-अलग मत प्रस्तुत किये हैं, किंतु इसमें कोई संदेह नहीं कि विश्व के विभिन्न भागों में पाए जाने वाले मग्न तटों की रचना भिन्न-भिन्न प्रक्रमों के द्वारा हुई है। कुछ विद्वानों की धारणा है कि महाद्वीपीय चबूतरे वस्तुतः महाद्वीपीय मग्न तटों के सागरोन्मुख किनारे पर समाप्त होते हैं। इनके मतानुसार अतीत में महाद्वीपीय ढालों के ऊपरी भाग तक ही समुद्र का जल फैला था, किन्हीं कारणों से समुद्र के जल ने ऊपर उठकर महाद्वीपों के किनारे वाले भागों को जल मग्न कर दिया। अन्य विचारधारा के अनुसार, मग्न तटों की रचना में नदियों की मुख्य भूमिका रही। नदियाँ अपने साथ बहाकर लाए मलबे का समुद्र के शांत जल में निक्षेपण करती है। नदियों द्वारा निक्षेपण की यह क्रिया निरंतर चलती रहती है और जमा किये गए मलबे के भार से मग्न तट धँसते जाते हैं। इस प्रकार यहाँ मलबे की भारी मात्रा जमा हो जाती है और मग्न तटों का निर्माण होता है। इन्हें रचनात्मक मग्न तट कहते हैं।
शेपार्ड के अनुसार कुछ मग्न तटों की रचना अपरदन एवं निक्षेपण के सम्मिलित प्रभाव के फलस्वरूप होती है, जबकि उच्च अक्षांशों के कुछ मग्न तटों की रचना में हिमनद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। डाली ने विश्व के कुछ मग्न तटों की उत्पत्ति एवं विकास का कारण हिम युग में समुद्र तल का लगभग 38 फैदम नीचे गिर जाना बताया है। समुद्र तल के नीचा हो जाने के कारण महाद्वीपों के किनारे के जलमग्न भाग स्थल रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। इन जलविहीन स्थल खंडों पर हिमानी द्वारा होने वाली अपरदन तथा निक्षेपण क्रियाएँ विभिन्न स्थलाकृतियों का निर्माण कर देती है, पुनः हिमयुग के अवसान के उपरांत हिमानी का निर्वतन हुआ और समुद्र तल ऊपर उठ गया जिससे ये स्थल खंड पुनः जलमग्न हो गए। इस प्रकार अधिक चौड़े मग्न तटों का विकास हुआ।
उपरोक्त के अतिरिक्त, विश्व के अलग-अलग भागों में मग्न तटों की उत्पत्ति में भ्रंशन की क्रिया, नदियों द्वारा डेल्टा निर्माण, समुद्र की लहरों तथा तरंगों द्वारा संपादित अपरदनात्मक क्रिया तथा पृथ्वी में संवाहनिक तरंगों का उत्पन्न होना आदि को सहायक माना जाता है। अतः मग्न तटों की रचना में महाद्वीपों तथा महासागरों में होने वाले परिवर्तनों का नियंत्रण होता है।

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